19 Feb. Vadodara: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने शुक्रवार को मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा। सात महीने पहले मार्स पर्सिवरेंस रोवर ने धरती से टेकऑफ किया था। भारतीय समय के अनुसात 2 बजकर 25 मिनट के करीब पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर लैंड किया। मार्स पर्सिवरेंस रोवर को नासा ने जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराया है। रोवर के लाल ग्रह (मंगल ग्रह) पर पहुंचने के फौरन बाद ही नासा ने वहां की पहली तस्वीर भी जारी कर दी है। जिसे मंगल ग्रह के रहस्यों के उद्घाटन की दिशा में एक उपलब्धि माना जा रहा है।
After 203 days and 300 million miles, our @NASAPersevere landed on Mars at 3:55 p.m. EST on Feb. 18. After spending some time checking out its systems, it’ll be rolling across the Red Planet, looking for signs of ancient Martian life. https://t.co/3Tr7doXdJS pic.twitter.com/FhwoXz5l4n
— NASA (@NASA) February 19, 2021
6 पहियाें वाला रोबोट सात महीने में 47 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी कर तेजी से अपने लक्ष्य के करीब पहुंचा। आखिरी सात मिनट बेहद मुश्किल और खतरनाक रहे। इस वक्त यह सिर्फ 7 मिनट में 12 हजार मील प्रतिघंटे से 0 की रफ्तार पर आया। इसके बाद लैंडिंग हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अपने ऑफिस में इसकी लैंडिंग को होते हुए देखा।
पानी की खोज और जीवन की पड़ताल करेगा यह रोबोट
पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाई-ऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। यह जमीन के नीचे जीवन संकेतों के अलावा पानी की खोज और उनसे संबंधित जांच भी करेगा। इसका मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।
Touchdown confirmed. The #CountdownToMars is complete, but the mission is just beginning. pic.twitter.com/UvOyXQhhN9
— NASA (@NASA) February 18, 2021
इसके अलावा, नासा ने जजीरो क्रेटर को ही रोवर का टचडाउन जोन बनाया था। राबोट ने यहीं पर लैंड किया। अब यह यहीं से सैटेलाइट कैमरे के जरिए पूरी जानकारी जुटाएगा और फिर इसे नासा को भेजेगा। यह मिशन अब तक का सबसे एडवांस्ड रोबॉटिक एक्सप्लोरर है। वैज्ञानिकों ने मुताबिक, जजीरो क्रेटर मंगल ग्रह का वह सतह है, जहां कभी विशाल झील हुआ करती थी। इसका मतलब ये कह सकते हैं कि यहां पानी होने की जानकारी पुख्ता तौर पर मिल चुकी है। वैज्ञानिकों को यह उम्मीद है कि अगर मंगल पर कभी जीवन था, तो उसके संकेत यहां जीवाश्म के रूप में मिल सकेंगे।
पर्सीवरेंस रोवर की ख़ास बात
मार्स के लेटेस्ट वीडियो और आवाज रिकॉर्ड करने के लिए पर्सीवरेंस रोवर में 23 कैमरे और दो माइक्रोफोन लगाए गए हैं। रोवर के साथ दूसरे ग्रह पर पहुंचा पहला हेलिकॉप्टर Ingenuity भी है। इसके लिए पैराशूट और रेट्रोरॉकेट लगे हैं। इसके जरिए ही स्मूद लैंडिंग हो सकी। अब रोवर 2 वर्षों तक जजीरो क्रेटर को एक्सप्लोर करेगा।
नासा के ‘मंगल’ मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है। यह परमाणु ऊर्जा से काम करेगा। पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। हेलिकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है। वहीं, यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा। इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है।
इस रोवर के साथ ख़ास लोगों को ट्रिब्यूट देने का प्रयास किया। 1.1 करोड़ लोगों के नाम तीन सिलिकॉन चिप्स पर लिखकर भेजे गए हैं। साथ ही दुनियाभर के हेल्थवर्कर्स के लिए यह एक ट्रिब्यूट भी है। एक छोटी एल्यूमीनियम प्लेट में एक रॉड पर लिपटे सांप की आकृति है जो ग्लोबल मेडिकल सोसायटी को दर्शाता है। इसमें एक लाइन से सेंट्रल फ्लोरिडा से मंगल का रास्ता दिखाया गया है। फ्लोरिडा के केप कनेवरल स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से ही मिशन को लॉन्च किया गया था।
इससे पहले की बात करें तो नासा के चार रोवर मंगल की सतह पर उतर चुके हैं, और इन चार में से पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है। इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा था। वहीं 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था।
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