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महामारी के दौरान मेडिकल प्रोफेसरों के शोषण मामले; मुख्यमंत्री को पत्र

गुजरात GMERS संचालित 8 मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसरों की मांगें पिछले कई सालों से पूरी नहीं हो रही है। कोरोनावायरस से फैली महामारी के बीच लगातार कार्यरत इन प्रोफेसरों ने अब भी अगर उन्हें उनके हक ना दिए गए तो 11 मई से हड़ताल पर जाने की बात कहता हुआ पत्र मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल को भेज दिया है।

दरअसल राज्य में GMERS संचालित 8 मेडिकल कॉलेज में 650 से ज्यादा प्रोफेसर कार्यरत है। शहर की गोत्री मेडिकल कॉलेज में 130 प्रोफेसर ड्यूटी करते हैं।10 साल की ड्यूटी के बावजूद अब तक उनके पीएफ अकाउंट नहीं खोले गए हैं, उनके प्रमोशन का कोई प्रावधान नहीं किया गया है, वेतन बढ़ोतरी की सुविधा नहीं दी गई है, मेडिकल एलाउंस या मेडिकल सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।उसके बावजूद यह प्रोफेसर लगातार कार्यरत है बीते 1 वर्ष में कोरोनावायरस के दौरान प्रोफेसर दिन रात एक करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हैं, लेकिन सरकार उनकी दिक्कतों की सुध लेने के लिए तैयार नहीं है।जिससे परेशान बरोड़ा मेडिकल कॉलेज समेत राज्य के 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज के करीबन 1750 मेडिकल प्रोफेसर उनकी सालों पुरानी मांगो के साथ हड़ताल पर उतरने की बात कर रहे हैं।

गोत्री हॉस्पिटल में कोरोना महामारी के दौरान लगातार बेड बढ़ाए गए हैं और इन मेडिकल प्रोफेसरों ने अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर यहां ड्यूटी की है,उसके बावजूद उनका शोषण हो रहा है।सिर्फ चार कॉलेज का स्टाफ होने के बावजूद GMERS द्वारा 8 कॉलेज चलाई जा रही है। इस मामले भी बार-बार शिकायत के बावजूद परिणाम नहीं मिल पाया है।मेडिकल प्रोफेसरों को समय-समय पर मिलने वाले प्रमोशन का लाभ भी नहीं मिल रहा है। सातवें वेतन आयोग के मुताबिक उन्हें एनपीए भी नहीं चुकाया गया है।नियमित डॉक्टर के बजाय 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट आधारित मेडिकल प्रोफेसर की भर्ती की जा रही है, जिस पर भी इन नियमित मेडिकल प्रोफेसरों ने आवाज उठाई है।पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने विशेषज्ञ डॉक्टरों को लाखों रुपए देने का प्रावधान बनाया है,लेकिन सालों से कार्यरत इन मेडिकल प्रोफेसरों को बेसिक लाभ भी नहीं मिल रहे हैं। जिससे नाराज मेडिकल प्रोफेसर अब हड़ताल तक करने के लिए तैयार है। अगर यह मेडिकल प्रोफेसर हड़ताल पर जाते हैं तो गुजरात की चरमराई हुए स्वास्थ्य सुविधा संपूर्ण रूप से धराशाई हो सकती है, ऐसे में गुजरात सरकार को इस मामले उचित निर्णय लेना ही होगा।