देश में जहां एक ओर कोरोना वायरस की मार चल रही है, वही दूसरी ओर राजनैतिक वायरस की भी मारा मारी चालू है। जितनी ख़तरनाक स्थिति अभी कोरोना वायरस की बनी हुई है, उतनी ही खतरनाक हमारे देश में हो रही “राजनीति” कि है। जितनी ख़तरनाक स्थिति अभी कोरोना वायरस की बनी हुई है, उतनी ही खतरनाक हमारे देश में हो रही “राजनीति” कि है। और अब यह सभी राजनीति चिट्ठियों के जरिए हो रही है।
12 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को एक चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी में नेताओं ने प्रधानमंत्री को कोरोना से जुड़े 9 सुझाव दिए। साथ ही केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों के सुझावों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। चिट्ठी में कहा गया कि फ्री वैक्सीनेशन शुरू करें, बेरोजगारों को हर महीने 6 हजार रुपए दें और कृषि कानून रद्द करें।
यह चिट्ठी विपक्ष के 12 नेताओं ने पीएम मोदी को लिख है। इस चिट्ठी के जरिए कुछ खास मांगे उन्होंने सामने रखी है।
- केंद्रीय स्तर पर वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए।
- देश की सभी फार्मा कंपनियों को वैक्सीन के उत्पादन के लिए “Compulsory License” दिया जाए।
- Central Wista का निर्माण कार्य रोक दिया जाए।
- कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाए।
- कम से कम 6000 रूपए प्रतिमाहिने की नोकरी दी जाए।
इत्यादि।।।
कोरोना के मौजूदा हालात को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। फिर चाहे वो वैक्सीन नीति हो या फिर कोविड का खराब मैनेजमेंट, हर मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी नेता रोजाना सरकार से सवाल पूछ रहे हैं. लेकिन अब विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। जिसमें सरकार को कई तरह के सुझाव दिए गए हैं। आपको बता दें, प्रधानमंत्री को सुझावों वाली ये चिट्ठी लिखने वाले विपक्षी नेताओं में, सोनिया गांधी, एचडी देवेगौड़ा, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, हेमंत सोरेन, फारूक अब्दुल्ला, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, डी राजा और सीताराम येचुरी जैसे नाम शामिल हैं।
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