24 Mar. Delhi: देश को अब मिलेंगे 48वें CJI मिलने वाले हैं। जस्टिस नथालापति वेंकट रमना भारत के नए चीफ जस्टिस होंगे। CJI एसए बोबडे ने उनका नाम देश के 48वें चीफ जस्टिस के तौर पर प्रस्तावित किया है। CJI बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं। नियमों के अनुसार CJI को अपने रिटायरमेंट से एक महीने पहले नए चीफ जस्टिस के नाम का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजना होता है। यहां से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज जो CJI बनेंगे
सरकार के प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद 24 अप्रैल को जस्टिस रमना नए CJI का पद संभाल सकते हैं। ऐसा हुआ तो वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो CJI बनेंगे। जस्टिस रमना 26 अगस्त 2022 को रिटायर होंगे। यानी उनका कार्यकाल दो साल से कम बचा है। नवंबर 2019 में जस्टिस बोबडे ने 47 वें CJI के रूप में शपथ ली थी।
जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस बोबडे को CJI बनाया गया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते ही जस्टिस बोबडे से कहा था कि वे अगले सीजेआई का नाम सुझाएं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बोबडे को इस बारे में खत भेजा था।
कौन हैं जस्टिस रमना?
जस्टिस रमना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नवरम गांव में हुआ था। 10 फरवरी 1983 को उन्होंने वकालत की शुरुआत की। 27 जून 2000 को वे आंध्रप्रदेश के हाईकोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए। जस्टिस रमना को फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10 फरवरी 1983 को वकालत के साथ करियर की शुरुआत की थी।
भारत में अभी भी न्याय पाना कठिन: जस्टिस रमना
जस्टिस रमना ने हाल ही में कहा था कि भारत में अभी भी न्याय पाना कठिन है। उन्होंने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी हम गरीबी और न्याय तक पहुंच न होने की कठिनाई से जूझ रहे हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अभी भी लाखों लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके मूलभूत अधिकार नहीं मिल सके हैं, इसलिए हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूलना चाहिए।
इन तीन ऐतिहासिक फैसलों में रहे जस्टिस रमना
जस्टिस रमना ने 10 जनवरी 2020 को जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट के निलंबन पर तत्काल समीक्षा करने का फैसला सुनाया था। दूसरा फैसला, वे उस ऐतिहासिक बेंच में भी शामिल थे, जिसने 13 नवंबर 2019 को CJI के ऑफिस को RTI के दायरे में लाने का फैसला दिया था। तीसरा फैसला, जस्टिस रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने जनवरी 2021 में फैसला दिया कि किसी घरेलू महिला के काम का मूल्य उसके ऑफिस जाने वाले पति से कम नहीं है।
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