अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 26% टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों को लगभग 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बावजूद, भारत सरकार ने अमेरिका पर जवाबी टैरिफ न लगाने का निर्णय लिया है और द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं के माध्यम से समाधान खोजने पर जोर दिया है।
सरकार का रुख और रणनीति
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की वार्ताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और टैरिफ मुद्दे का समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है। भारत का मानना है कि वह उन पहले देशों में से है जो अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं, जिससे उसे रणनीतिक लाभ मिल सकता है।
अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं
जहां चीन और यूरोपीय संघ जैसे देश अमेरिकी टैरिफ के जवाब में प्रतिशोधी कदम उठा रहे हैं, वहीं भारत ने कूटनीतिक वार्ता का मार्ग चुना है। चीन ने अमेरिकी आयात पर 34% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जबकि यूरोपीय संघ भी जवाबी उपायों पर विचार कर रहा है।
आर्थिक प्रभाव और विशेषज्ञों की राय
हालांकि भारतीय अधिकारियों का मानना है कि इन टैरिफ से आर्थिक वृद्धि पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा, कुछ निजी अर्थशास्त्रियों ने अपने पूर्वानुमानों में कटौती की है। गोल्डमैन सैक्स ने भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.3% से घटाकर 6.1% कर दिया है, यह मानते हुए कि अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्यात प्रभावित हो सकता है।
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद, भारत सरकार ने जवाबी टैरिफ न लगाने का निर्णय लिया है और कूटनीतिक वार्ताओं के माध्यम से समाधान खोजने का प्रयास कर रही है। इसका उद्देश्य दीर्घकालिक व्यापार संबंधों को मजबूत करना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना है।
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