15 Mar. Rajasthan: राजस्थान में पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट के में की बगावत के समय फोन टेप करने की बात सरकार ने मानी। सरकार ने विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा की सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। नवंबर 2020 तक फोन टेप के सभी मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है।
भारतीय जनता पार्टी के विधायक कालीचरण सराफ के अगस्त में पूछे गए सवाल का गृह विभाग में अब जवाब दिया है। सवाल का जवाब राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर तो डाल दिया लेकिन विधायक के पास लिखित रूप में नहीं पहुंचा है।
मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं
हालाँकि, सरकार ने अपने उत्तर में विधायकों या केंद्रीय मंत्रियों के फोन टेप करने जैसी कोई बात नहीं कही गई है। लेकिन भाजपा के विधायक के सवाल पूछने के समय तो देखते हुए इस जवाब को बागी विधायकों और केंद्रीय गृह मंत्री ने की टाइपिंग से जुड़ा माना जा रहा है।
भाजपा विधायक कालीचरण सराफ में एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘ विधायकों और नेताओं के टेप करने को लेकर मैंने अगस्त में विधानसभा में सवाल लगाया था, मेरे पास अभी तक लिखित जवाब नहीं आया है। जब लिखित जवाब आएगा तभी कुछ बता सकता हूं।
जुलाई माह में वायरल हुए थे ऑडियो टेप
सचिन पायलट खेलने के 19 विधायकों ने जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी और यह विधायक मानेसर से एक होटल में अलग से बाड़ेबंदी में चले गए थे। उसके बाद 15 जुलाई 2020 को गहलोत गुट की ओर से कुछ ऑडियो टेप जारी किए गए थे। इन ऑडियो टेप में गहलोत खेलने की तरफ से दावा किया गया था कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत है।
उस बातचीत में सरकार की रानी और पैसों की लेनदेन की बातें की। सीएम अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि सरकार की रानी की असली यंत्र में हुए करोड़ों के लेनदेन के सबूत हैं और यह आरोप झूठे हो तो राजनीति छोड़ दूंगा। जिन नेताओं के ऑडियो टेप आए थे, उनकी वॉइस टेस्टिंग नहीं हुई थी। विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले की जांच एसीबी और एटीएस कर रही है। चर्चा यह भी है कि सरकार की शादी पर जांच एजेंसियों ने इन ऑडियो टेप को वायरल किया है। बरहाल, इस कि अभी तक पुष्टि नहीं की गई है।
क्या था विधायक कालीचरण का सवाल
क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर? पूरा ब्यूरा सदन की मेज पर रखें।
गृह विभाग का कालीचरण को जवाब
लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टैप किए जाते हैं। भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5 -2 और आईटी एक्ट की धारा 69 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार फोन टैप किए जाते हैं। राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टैप किए हैं। सर्विलांस पर किए गए फोनों के मुख्य सचिव के स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है। अब तक नवंबर तक के फोन सर्विलांस और टैपिंग के मामलों की समीक्षा की जा चुकी है।
अब क्यों मानी है फ़ोन टैपिंग की बात?
पायलट गुट की बगावत के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार यह कह रहे थे कि उनके पास सरकार गिराने में भाजपा नेताओं की भूमिका और करोड़ों के लेनदेन के सबूत हैं। टेप जारी हुए लेकिन गहलोत सरकार ने तब टेपिंग कराने की बात नहीं मानी। अब सवाल के जवाब में सरकार ने मान लिया है कि सक्षम अधिकारी की अनुमति से फोन टेप किए गए थे। तय प्रक्रिया के अनुसार गृह सचिव की अुनमति से ही फोन टेप किए जाते हैं। जिस वक्त की यह घटना है उस समय राजीव स्वरूप गृह विभाग के एसीएस थे, बाद में वे मुख्य सचिव बनाए गए थे।
सरकार के इस कबूलनामे पर सियासी बवाल होने की आशंका
गहलोत सरकार ने पहली बार फोन टेपिंग की बात सीधे न सही, लेकिन आधिकारिक रूप से सवाल के जवाब में मान ली है। अब भाजपा इस पर सरकार को घेरेगी। विधानसभा में आज इस मुद्दे को उठाया जा सकता है। सरकार से फोन टैपिंग की पूरी प्रक्रिया और किन-किन नेताओं के फोन टेप हुए इसका ब्यौरा भी विपक्षी भाजपा विधायक मांग सकते हैं। इससे कांग्रेस भाजपा की अंदरूनी सियासत भी गर्माने की आशंका है।
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