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कैसे हुई अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की शुरुआत!!

21 Feb 2023, Tuesday

आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। दुनियाभर में भाषा एक ऐसा साधन है, जो लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है और उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। एक देश में कई मातृभाषा हो सकती हैं। भारत में ही 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। वहीं 29 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 लाख लोग बोलते हैं। भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी, अरबी, जापानी, रूसी, पुर्तगाली, मंदारिन और स्पैनिश बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए और कई मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से प्रति साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। पहली बार इस दिन को मनाने की शुरुआत बांग्लादेश ने की थी। बाद में वर्ष 2000 से विश्व भर में यह दिन मनाया जाने लगा।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 की थीम ‘बहुभाषी शिक्षा- शिक्षा को बदलने की आवश्यकता’ है।

भारत विविध संस्कृति और विभिन्न भाषाओं का देश है। 1961 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है। हिंदी दूसरी सबसे लोकप्रिय मातृभाषा है। देश में 43 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है।