वैश्विक बाजारों में भारी बिकवाली और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कठोर टैरिफ नीतियों के चलते भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स 3,939.68 अंक टूटकर 71,425.01 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी में 1,160.8 अंकों की गिरावट आई। इससे निवेशकों के लगभग 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
शेयर बाजार में इस भारी गिरावट के पीछे मुख्यतः पांच कारण हैं:
वैश्विक स्तर पर बिकवाली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान में कोई नरमी नहीं दिखाने के कारण वैश्विक शेयर बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। अमेरिकी स्टॉक मार्केट में भी कोविड महामारी जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, जहां डाउ जोन्स 2,231 अंक और नैस्डैक 962 अंक गिरा। एशियाई बाजारों में निक्केई 2,370.25 अंक और हैंगसेंग 2,445 अंक नीचे आया।
टैरिफ पर कठोर रुख का प्रभाव: ट्रंप प्रशासन ने 180 से अधिक देशों पर टैरिफ लगाने का कठोर रुख अपनाया है, जिससे बाजार में चिंता बढ़ी है। अमेरिका के साथ त्वरित वार्ता के माध्यम से अनुकूल परिणाम की उम्मीद नकारात्मक रही है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में और गिरावट की आशंका बढ़ी है।
आर्थिक मंदी का भय: ट्रंप के टैरिफ के कारण चीन, कनाडा जैसे देशों ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे विश्वभर में ट्रेड वॉर शुरू हो चुका है। इन टैरिफ के कारण महंगाई बढ़ेगी, जिससे कॉर्पोरेट्स का मुनाफा और उपभोग घटेगा, परिणामस्वरूप कई देशों की आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ेगा।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली: पिछले महीने कैश सेगमेंट में खरीदारी के बाद, ट्रंप के टैरिफ के कारण अप्रैल में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने फिर से बिकवाली शुरू कर दी है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच एफआईआई ने अप्रैल में अब तक कुल 13,730 करोड़ रुपये का निवेश वापस ले लिया है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक: भारतीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू हुई है। 9 अप्रैल को आरबीआई ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है, जिससे जीडीपी ग्रोथ को समर्थन मिलेगा। वैश्विक प्रभावों के अलावा, आरबीआई की घोषणा से पहले स्थानीय निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया है और नई खरीदारी रोक दी है।
इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई है, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ है।

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