12 Jan. Vadodara: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 3 नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी और किसानों से बातचीत के लिए 4 मेंबर्स की कमेटी बनाई है। पर, किसानों ने साफ तौर से कह दिया है कि वो किसी भी कमेटी के सामने बातचीत के लिए नहीं जाएंगे। किसानों का कहना है, ‘हम कानून वापसी तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे।’
किसान संगठनों ने 26 जनवरी के आंदोलन पर भी स्टैंड क्लियर कर दिया है। दरहसल, किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को हम शांतिपूर्ण रैली निकालेंगे। इसमें हिंसा को लेकर कई अफवाहें फैली हैं। हम साफ कर दें कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं और किसी भी हिंसा के पक्ष में नहीं हैं। आंदोलन की तस्वीर 15 जनवरी को केंद्र के साथ बातचीत के बाद साफ़ होती नजर आएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसानों ने जताये 4 ऐतराज
1. फिलहाल कानूनों के अमल पर रोक अंतरिम राहत है, पर ये समाधान नहीं है। किसान संगठन इस उपाय की मांग नहीं कर रहे थे, क्योंकि कानूनों को तो कभी भी लागू किया जा सकता है।
2. यह स्पष्ट है कि कई ताकतों ने कमेटी के गठन को लेकर कोर्ट को गुमराह किया है। कमेटी में शामिल लोग वो हैं, जो इन कानूनों को समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं और लगातार इन कानूनों की वकालत करते रहे हैं।
3. ये कृषि कानून कार्पोरेट्स को खेती और मंडियों पर कंट्रोल करने का रास्ता बनाएंगे। इन कानूनों से किसानों पर कर्ज बढ़ेगा, उपज के दाम कम होंगे, किसानों का बड़ा नुक्सान होगा, सरकार द्वारा खरीदी कम होगी, खाद्यान्न के दाम बढ़ेंगे, किसानों की आत्महत्या और भूख से मौतें बढ़ेंगी। कर्ज के कारण किसानों को अपनी जमीनों से बेदखल होना पड़ेगा। सरकार ने लोगों और अदालत, दोनों से इन कानूनों के सख्त पहलुओं को छिपाया है।
4. किसान सुप्रीम कोर्ट से नहीं सरकार से बातचीत करना चाहते हैं। किसान सुप्रीम कोर्ट में खुद को रिप्रेजेंट नहीं कर सकते हैं। इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं और न ही इसका कोई विरोध कर रहे हैं।
48 दिन के आंदोलन में 57 लोगों की मौत हुई
48वें दिन किसान आंदोलन पंजाब के फिरोजपुर में बाबा नसीब सिंह मान ने खुद को गोली मारकर खुदखुशी कर ली। वे 20 दिसंबर को प्रदर्शन में शामिल हुए थे, तभी कहा था कि किसानों के मसलों का हल नहीं निकला तो जान दे देंगे। बताया जा रहा है कि मान के भाई का खालिस्तान आंदोलन से ताल्लुक था। 48 दिनों से चल रहे इस आंदोलन में अलग-अलग वजहों से अब-तक 57 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से कुछ ने आत्महत्या की, तो कुछ लोगों को दिल का दोहरा पड़ा था। तो वहीं, कई लोगों की जान बीमार होने की वजह से चली गई।
किसानों की सरकार से 15 जनवरी को होनी है मीटिंग
इससे पहले हुई 9 दौर की बैठकों में सिर्फ एक बैठक में कुछ नतीजा निकला था। आखिरी मीटिंग 8 जनवरी को हुई थी, जिसमें किसानों ने तल्खी दिखाते हए सरकार से कहा था कि, ‘आपका मन मामले को सुलझाने का नहीं है तो लिख कर दे दीजिए, हम चले जाएंगे।’ तो किसान इस बात पर अड़े बैठे हैं कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।
क्या है वो रोडमैप जो किसान आंदोलन के लिए तैयार किया गया है
सबसे पहले 13 जनवरी यानी कल किसान संकल्प दिवस मनाया जाएगा। इसमें कृषि कानूनों की कॉपी को जलाएंगे।
फिर 18 जनवरी को किसान महिला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। बता दें की इस आंदोलन में कई महिलाएं भी जुडी हुई हैं।
बाद में, 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र की जयंती पर अलग-अलग गांवों से किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे। और हर गांव से 5 ट्रैक्टर निकलेंगे, इनमें एक ट्रैक्टर महिलाओं का भी शामिल होगा।
और सबसे एहम 26 जनवरी पर किया जाएगा कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन। 26 जनवरी के लिए तैयारी और तेज की जाएगी। कमेटी बनाकर हर घर से 26 जनवरी को आंदोलन में शामिल होने की अपील करेंगे। और जल्द ही एक ऐप लॉन्च किया जाएगा, जिस पर आंदोलन की LIVE कवरेज होगी और इमरजेंसी सेवाएं दी जाएंगी।
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