वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों’। हाल ही में आईआईएम अहमदाबाद से प्लेसमेंट के जरिए कंट्री डिलाइट के एसोसिएट मैनेजर बने हितेश सिंह के लिए ये कहावत सटीक साबित होती है। उनके पिता अमूल कंपनी में एक ड्राइवर की नौकरी करते हैं, लेकिन परिवार की फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स कभी 24 साल के हितेश की राह का रोड़ा नहीं बनीं।
vअमूल कंपनी के चालक के बेटे ने न केवल खुद को आईआईएम की A डिग्री हासिल करने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि उस क्षेत्र को भी चुना है जो उसे लगता है कि फसल की क्रीम है – Dairy क्षेत्र। IIM में हालही में हुए प्लेसमेंट में 24 वर्षीय हितेश सिंह को Country Delight में Associate Manager के रूप में चुना गया है।
हितेश ने पहले तो कड़ी मेहनत से आईआईएम अहमदाबाद का सफर तय किया, जिसके लोग सपने देखते हैं और फिर डेयरी उद्योग की कंट्री डिलाइट कंपनी में एक ऊंचा पद हासिल किया। हितेश सिंह हमेशा से ही चाहते थे कि उनकी नौकरी डेयरी सेक्टर में ही लगे, ऐसे में कंट्री डिलाइट में एसोसिएट मैनेजर बनना उनका सपना सच होने जैसा है। हितेश हमेशा ही अपने रोल मॉडल आर एस सोडी को फॉलो करना चाहते थे, जो गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जो अमूल ब्रांड की ही मार्केटिंग करते है।
हितेश सिंह के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा था। वह हमेशा से डेयरी क्षेत्र में नौकरी पाना चाहता था और Gujarat Co-operative Milk Marketing Federation (GCMMF) Ltd. के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी का अनुसरण करना चाहता था, जो अमूल ब्रांड का विपणन करता है।
हितेश के पिता पंकज सिंह अपने पूरे परिवार के साथ बिहार से आणंद आकर बस गए थे। उन्होंने शुरुआती दिनों में एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की, जहां से वह सिर्फ 600 रुपये प्रति माह कमाते थे। उसके बाद उन्होंने ड्राइविंग सीखी और 2007 में GCMMF में नौकरी शुरू कर दी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से हितेश सिंह ने पढ़ाई और निजी खर्च के लिए लोन भी लिया। आईआईएम अहमदाबाद से उन्होंने फूड एंड एग्री-बिजनस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम किया, जिसके लिए उन्हें इंस्टीट्यूट की तरफ से एक स्पेशल स्कॉलरशिप भी मिली।
हितेश सिंह के पिता GCMMF में ही एक ड्राइवर की नौकरी करते हैं और उन्हीं के जरिए कई साल पहले हितेश की मुलाकात पहली बार आर एस सोडी से हुई थी। उसके बाद से ही सोडी उनके आदर्श बन गए। अपने करियर में आगे बढ़ने के दौरान उन्होंने कई बार आर एस सोडी से मार्गदर्शन लिया। हितेश कहते हैं कि वैल्यू के आधार पर दूध उत्पादन कृषि में सबसे अहम योगदान रखता है। इसके बावजूद मौजूदा समय में सिर्फ 25 फीसदी हिस्सा ही ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के पास है, यानी इस क्षेत्र में अभी बहुत मौके हैं। उनकी मां सरिताबेन ने उन्हें घर पर पढ़ाया। उन्होंने एसएमसी कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस, आनंद कृषि विश्वविद्यालय से डेयरी प्रौद्योगिकी में बीटेक में टॉप किया। उन्हें कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में 96.12% में रखा गया था।
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