गुजराती गजल जगत का बड़ा नाम माने जाने वाले गजल कार डॉ रशीद मीर ने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया है,उनके निधन से गुजरात के साहित्य जगत को बड़ी क्षति पहुंची है।
गुजरात के साहित्य जगत में जिनका नाम श्रेष्ठ गजल कार, आलोचक,गजल मर्मज्ञ के रूप में जाना जाता है, ऐसे ग़ज़ल कार डॉ रशीद मीर का किडनी की बीमारी से आज सुबह निधन हो गया। उनके जाने से गुजरात का ग़ज़ल जगत सुना पड़ गया है। पहले खलिल धनतेजवी और अब डॉक्टर राशिद मीर अनंत सफर पर निकल पड़े हैं ऐसे में गुजरात के और खासकर वडोदरा के मुशायरे अब कैसे सजेंगे यह सोचना भी मुश्किल है। धबक नामक ग़ज़ल अखबार के स्थापक और एडिटर ऐसे डॉ रशीद मीर ने गजल में पहली बार पीएचडी की थी।वड़ोदरा के प्रेमानंद साहित्य सभा के वे ट्रस्टी थे। प्रेमानंद साहित्य सभा द्वारा हर बुधवार को बुधसभा आयोजित होती, जिसमें वे नए गजल कारों को श्रेष्ठ गजल लिखने के लिए प्रोत्साहित करते, उनकी कमियों को उजागर करते और नए ग़ज़ल कारों को मार्गदर्शन भी देते।
आज की परिस्थिति के मद्देनजर उनकी अंतिम क्रिया उनके वतन बालासिनोर में की गई।डॉ रशीद मीर जैसे कलाकार भले ही सूक्ष्म शरीर से हमारे साथ ना हो लेकिन उनकी ग़ज़ल उनका अंदाज और उनकी जिंदादिली हमेशा सभी के दिलों में जिंदा रहेगी।
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