18 Jan. Vadodara: पडोसी देश पाकिस्तान के सिंध के लोगों ने प्रांत की आजादी के लिए खुलकर वर्ल्ड लीडर से मदद मांगी है। मॉडर्न सिंधी नेशनलिज़्म के संस्थापकों में से एक जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर रविवार को जामशोरो प्रांत में एक विशाल रैली निकाली गई। इस दौरान लोगों ने आजादी समर्थक नारे भी लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वर्ल्ड लीडर्स के पोस्टर भी दिखाई दिए।
आज़ादी समर्थकों ने नारे लगाए
रैली में शामिल प्रदर्शनकर्ताओं ने दावा किया कि सिंध राज्य सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का घर है। अंग्रेज साम्राज्य ने यहां जबरन कब्जा कर लिया था और 1947 में पाकिस्तान के इस्लामी हाथों में सौंप दिया।
कोनसे नेता हैं जिनके पोस्टर दिखाए गए?
नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री, भारत), जेसिंडा आर्डर्न (प्रधानमंत्री, न्यूजीलैंड), एंजेला मर्केल (जर्मन चांसलर), जो बाइडेन (प्रेसिडेंट इलेक्ट, अमेरिका), अशरफ गनी (राष्ट्रपति, अफगानिस्तान), एंटोनियो गुटेरेस (UN प्रेसिडेंट), मोहम्मद बिन सलमान (क्राउन प्रिंस, सऊदी अरब)
पाकिस्तान के अत्याचारों से प्रताड़ित
बर्फात के हवाले से समाचार एजेंसी ने बताया कि सिंध ने भारत को अपना नाम दिया, सिंध के नागरिक, जो उद्योग, दर्शन, समुद्री नेविगेशन, गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र के धुरंधर थे, वे आज पाकिस्तान के फासिस्ट आतंकियों के राज में रहने को मजबूर हैं। सिंध में कई राष्ट्रवादी पार्टियां हैं, जो एक आजाद सिंध राष्ट्र का समर्थन करती हैं। हम अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्मों पर भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पाकिस्तान ने हम पर कब्जा किया हुआ है। वह न केवल हमारे संसाधनों को बर्बाद कर रहा है, बल्कि यहां मानवाधिकार का उल्लंघन भी हो रहा है।
दरहसल सिंध को अलग देश बनाने की मांग 1967 से चल रही है। तब जीएम सैयद और पीर अली मोहम्मद राशिद की लीडरशिप में सिंधुदेश आंदोलन की शुरुआत हुई और पिछले कुछ दशकों में यहां पाकिस्तान की सिक्योरिटी एजेंसियों ने कत्लेआम मचाना जारी रखा है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में राष्ट्रवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्टूडेंट्स को प्रताड़ित किया और जान से मार डाला गया।
सिंधु घाटी की सभ्यता सिंध में मिली थी
सन् 1921 में सिंध के लरकाना में ही सिंधु घाटी की सभ्यता का पता लगा था। भारतीय पुरातत्वविद राखालदास बनर्जी ने यहां खुदाई करवाई थी। सिंध में ही जानामाना मोहनजोदड़ो भी स्थित है।
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