पिछले कई महीनों से पूरा भारत कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस जंग को जीतने के लिए भारत में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान भी शुरू किया था, जो कही न कही कारीगर जरूर रहा है। लेकिन अब इस जंग को एक तरफा जीत बनाने के लिए भारत में एक नई हथियार का अविष्कार किया गया है, जिसको कोविड एंटीबॉडी कॉकटेल का नाम दिया गया है।
यह कोरोना के शुरुआती चरणों में वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक देता है। भारत में पाए गए कोरोना वैरिएंट पर भी यह काफी असरदार है।
क्या है यह एंटीबॉडी कॉकटेल
केसिरिविमैब और इम्डेविमैब दरअसल एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है। ये कॉकटेल वायरस के मानव कोशिकाओं में प्रवेश को रोकने का काम करते हैं। यह खासतौर पर उन सार्स-कॉव-2 के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ निर्देशित होते हैं, जो कोरोना वायरस का मुख्य कारण होते हैं।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हानिकारक रोगजनक वायरस से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता की नकल करते हैं। ऐसा एंटीबॉडी कॉकटेल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया गया था जब वे कोरोना से संक्रमित हुए थे।
और इसी के साथ ही अब भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल का पहला सफल इलाज हुआ है। गुड़गांव स्थित अस्पताल में 82 साल के मरीज को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल की खुराक दिए जाने के एक दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। उन्हें मेदांता अस्पताल में खुराक देने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है।
एंटीबॉडी कॉकटेल कैसे दी जाती है ?
एंटीबॉडी कॉकटेल मरीजों को नस के माध्यम से या त्वचा के नीचे इंजेक्शन के जरिए दी जाती है। फुल डोज एंटीबॉडी कॉकटेल देने के लिए 20 मिनट से आधे घंटे का वक्त लगता है। इसके बाद प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं पर नजर रखने के लिए मरीज को 1 घंटे तक निगरानी में रखा जाता है।
भारत में इसकी कितनी होगी कीमत?
एंटीबॉडी कॉकटेल दवा के एक पैक में दो मरीजों के लायक दवा होती है। भारत में एक पैक की एमआरपी 1,19,500 रुपये रखी गई है। यानी एक मरीज की डोज की कीमत 59,750 रुपये है। 1,200 एमजी की एक डोज में 600 एमजी कैसिरिविमैब और 600 एमजी इमडेविमैब होती है।
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