31 Mar. Gujarat: गुजरात के चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर केस में CBI कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के दो पूर्व अधिकारियों गिरीश सिंघल, तरुण बारोट और मौजूदा एसआई अनाजू चौधरी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां, लश्कर-ए-तैयबा की आंतकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता। इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष मानते हुए बरी किया जाता है।
अधिकारियों ने अपने कर्तव्य का किया पालन
2004 के बाद गुजरात सरकार ने IPS जीएल सिंघल, रिटायर्ड DSP तरुण बारोट और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर अनाजू चौधरी के खिलाफ इशरत जहां एनकाउंटर मामले में कार्रवाई करने से इंकार कर दिया था। बुधवार को इसी मामले में दायर अर्जी पर सुनवाई हुई। इस मामले में कोर्ट कहा कि इस बात के सबूत हैं कि इशरत जहां आतंकी थी और क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई।
जानिये क्या है पूरा मामला
15 जून, 2004 को अहमदाबाद में कोतरपुर वाटरवर्क्स के पास पुलिस एनकाउंटर में इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राम और जीशान जौहर मारे गए थे। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार ये सभी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे। इशरत जहां की मां समीमा कौसर और जावेद के पिता गोपीनाथ पिल्लई ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर मामले की CBI जांच की मांग की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए SIT बनाई थी। इस मामले में कई पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
जानिए इस केस में कब-क्या हुआ
15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस ने एनकाउंटर में चार लोगों को मार दिया था। इनमें इशरत जहां, जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राना और जीशान जौहर का नाम शामिल है। इस एनकाउंटर की अगुवाई डीआईजी डीजी वंजारा ने की थी।
7 सितंबर, 2009 को एनकाउंटर पर विवाद के बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसपी तमांग को जांच सौंपी गई। उन्होंने 243 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी। इसमें इशरत जहां एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया। पुलिस को कोल्ड ब्लडेड मर्डर का दोषी ठहराया गया।
9 सितंबर, 2009 को गुजरात हाईकोर्ट ने तमांग की रिपोर्ट पर स्टे लगाते हुए जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। हाईकोर्ट ने ये कहा कि इस केस की जांच उसकी निगरानी में ही होगी।
सितंबर, 2010 को एसआईटी प्रमुख आर.के. राघवन ने इस केस की जांच करने से इनकार कर दिया। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने नई एसआईटी गठित की।
नवंबर, 2010 को सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की अर्जी खारिज हो गई, जिसमें नई एसआईटी के गठन पर रोक की मांग की गई थी।
29 जुलाई, 2011 को राजीव रंजन वर्मा को एसआईटी का नया चेयरमैन बनाया गया।
नवंबर, 2011 को एसआईटी प्रमुख राजीव रंजन की जांच रिपोर्ट के आधार हाईकोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल लोगों के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इन पर धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया।
दिसंबर, 2011 को गुजरात हाईकोर्ट ने इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया।
14 फरवरी, 2013 को सीबीआई ने आईपीएस ऑफिसर जीएल सिंघल को गिरफ्तार किया।
23 फरवरी, 2013 को सीबीआई ने दो और पुलिस अफसर जेजी परमार और तरुण बारोत को भी गिरफ्तार किया।
4 जून, 2013 को सीबीआई ने एनकाउंटर केस में आईपीएस डीजी वंजारा को गिरफ्तार किया. उनकी अगुवाई में ही एनकाउंटर को अंजाम दिया गया था।
13 जून, 2013 को एनकाउंटर की जांच को लेकर आईबी से चल रही तनातनी के बीच सीबीआई ने आईपीएस सतीश वर्मा को जांच टीम से हटा दिया।
मई, 2014 को सीबीआई ने बीजेपी नेता अमित शाह को एनकाउंटर केस में क्लीन चिट दे दी।
फरवरी, 2015 को सीबीआई कोर्ट ने पांच फरवरी को डीजी वंजारा को जमानत दे दी।
पूर्व डीएसपी जेजी परमार का 21 सितंबर, 2020 को निधन हुआ।
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