04-01-2023, wednesdday
जिनकी आंखों की रोशनी खो चुकी है वे स्पर्श से चीजों को पहचानते है,उनकी शिक्षा की ललक को पूरा करती है ब्रेईल लिपि।इस लिपि के शोधक को याद करते हुए आज वर्ल्ड ब्रेईल लिपि डे मनाया जाता है।प्रज्ञाचक्षु जुड़वा भाइयों कांति शाह और शांति शाह के अचीवमेंट पर वडोदरा के डॉक्यूमेंट्रीकार धीरू मिस्त्री ने एवोर्ड विजेता डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है।
19वीं सदी में फ्रांस के लुइस ब्रेल नामक संशोधक ने चक्षुहीनो को स्पर्श से अक्षर और अंक ज्ञान मिल सके,इस उद्देश्य से ब्रेईल लिपि बनाई।गुजरात के राजपिपला में जन्मे जुड़वा भाई कांति शाह और शांति शाह ने प्रज्ञाचक्षुओ के लिए कार्य कर देश में नाम रोशन किया है।इन्होंने अंधेपन को चुनौती दी। Blind man’s association के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र व्यास ने उन्हें मुम्बई बुलाया और जोगेश्वरी में चल रहे ब्रेईल प्रेस का पूरा कामकाज उन्होंने उनको सौंप दिया। यहां इन दोनो ने उभार वाले चित्रों यानी एंबोज्ड पिक्चर की खोज की।उन्होंने प्रज्ञाचक्षुओं के लिए एटलस ,नक्शे ,चित्र,तैयार किए।सालो बाद इन्होंने वर्ली में आधुनिक प्रेस शुरू किया।
सन 1980 में जब वडोदरा के डॉक्यूमेंट्री सर्जक धीरू मिस्त्री को कांति शांति द्वारा की गई।इस दुर्लभ शांत क्रांति का पता लगते ही उन्होंने उनका संपर्क कर “कांति शांति” शीर्षक के साथ 35 एमएम की ईस्टमेन कलर डॉक्यूमेंट्री तैयार की। गुजरात सरकार द्वारा पुरस्कृत इस फिल्म को भारत सरकार फिल्म डिवीजन ने पंजाबी, तेलुगू, मराठी समेत 12 भाषाओं में डब किया। इंटरनेशनल ब्लाइंड एसोसिएशन ने भी इस कृति को सराहा।
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