24 Apr. Vadodara: वायुमंडल में 8 किलोमीटर प्रति सेकंड की तेजी से 9 लाख टुकड़े भटक रहे हैं। यह टुकड़े नष्ट हो चुके उपग्रहों के हैं। दुनिया भर के देशों में सेटेलाइट जारी करने की होड़ के बीच जो कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में प्रवेश करने के समय ही संपूर्ण रूप से जल नहीं जाता तो पृथ्वी पर विनाश ला सकता है। वायुमंडल में जमा इस कचरे को हटाने के लिए अमेरिका के नासा सहित अनेक देशों की एजेंसी अभी नया और अनोखा परीक्षण कर रही हैं। इसके अलावा कई निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में स्वयं के भविष्य के लिए एक बिजनेस के रूप में ऐसे सोच रही हैं।
इन कंपनियों में से एक है एस्ट्रोस्लेक
एस्ट्रोस्लेक के संस्थापक और सीईओ नोबू ओकाड़ा कहते हैं कि हम 22 मार्च कजाकिस्तान बायकोनूर से सोयुज़ रॉकेट की मदद से एलसा डी उपग्रह पर लॉन्च कर हमारा अभियान शुरू कर दिया है। एल्सा डी दो उपग्रहों के संयोजन से बना है जो एक के ऊपर एक जुड़े हुए हैं। एक 175 किलो का उपग्रह सेवा है और दूसरा 17 किलो का ग्राहक उपग्रह सेवा उपग्रह है जो कई तकनीकों का गंतव्य है। इसमें एक चुंबकीय डॉकिंग तंत्र भी है। क्षतिग्रस्त हो चुके इस उपग्रह के उपयोग से मलबे के बड़े टुकड़े हटा दिए जाते हैं। एक अन्य जापानी कंपनी जाक्सा ने एक इलेक्ट्रोडायनामिक सुरंग की मदद से कचरे को साफ करने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी का रोबोट 2023 में लॉन्च किया जाएगा।
स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम से बनी 700 मीटर लंबी इलेक्ट्रोडायनामिक सुरंग बनाएं। इस सुरंग के मलबे के तेजी से गुजरने को धीमा करें और इसे धीरे-धीरे वायुमंडल की ओर धकेलें। जर्मन अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआरए ने एक लेजर तकनीक विकसित की है जिसमें अंतरिक्ष में मलबे को नष्ट किया जा सकता है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इसके लिए एक कचरा रोबोट विकसित किया है। यह उपग्रह को पकड़ेगा और पृथ्वी पर वापस आएगा। इसे 2023 में लॉन्च किया जाएगा। बता दें कि एलसडी को इस तरीके से बनाया गया है।
नासा एक इलेक्ट्रॉनेट का निर्माण कर रहा है, एक जाल जो मलबे को बांध देगा और इसे पृथ्वी पर लाएगा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इलेक्ट्रो-नेट तकनीक पर काम कर रही है। यह जाल एक बड़े क्षेत्र में मौजूद कचरे को बांध देगा और इसे पृथ्वी के वातावरण में वापस लाएगा। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही अधिकांश कचरा अपने आप जल जाएगा। संयुक्त राज्य अमेरिका में 6 से अधिक स्टार्टअप अभियान इसमें शामिल हुए हैं।
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