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UP-बिहार के लोगों को ड्रग्स देकर बंधुआ मजदूरों की तरह खेतों में काम करवाते हैं

03 Apr. Punjab: दिल्ली की सीमाओं पर 4 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के बीच पंजाब के किसानों पर एक नया आरोप लगा है। किसानों पर यह आरोप लगाए गए हैं कि वे उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले प्रवासी मजदूरों को नशा देकर बंधुआ मजदूरी करवाते हैं। इस बारे में गृह मंत्रालय ने पंजाब की मुख्य सचिव और DGP को लेटर भेजा है। इसमें कहा गया है कि, राज्य के सीमांत जिलों के किसान पहले मजदूरों को नशे का आदी बनाते हैं फिर उन्हें बंधक बनाकर अपने खेतों में अमानवीय तरीके से काम कराते हैं।

इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार से कहा है कि इस संबंध में कार्रवाई करके गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपे। वहीं पंजाब के किसान संगठनों ने इस आरोप पर नाराजगी जताई है।

भारतीय किसान यूनियन एकता (डकोंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला का कहना है कि किसान कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने अब किसानों को बदनाम करने की नई साजिश रची है। भाकियू एकता (डकोंदा) पंजाब में प्रवासी मजदूरों की स्थिति और उनके प्रति पंजाब के किसानों के व्यवहार का सच लोगों और मीडिया के सामने लाएगी।

शिरोमणि अकाली दल ने भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों को बदनाम करने की कोशिश की है। पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने केंद्र सरकार की चिट्ठी को विरोधाभासी बताया है। उनका कहना है कि, चिट्ठी में एक तरफ तो दावा किया जा रहा है कि BSF ने 58 बंधक मजदूरों को छुड़ाया था, वहीं यह भी कहा गया है कि, मानव तस्कर गिरोह अच्छे वेतन का लालच देकर गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को बहला-फुसलाकर लाते हैं।

वहीं अमृतसर से लोकसभा सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी कहा कि केंद्र सरकार ओछी राजनीति पर उतर आई है। किसानों के प्रति केंद्र के रवैये से सभी वाकिफ हैं। औजला ने बताया कि उनके हलके में एक लाख किसान हैं और कहीं भी प्रवासी मजदूरों से बुरा बर्ताव नहीं किया जाता। अगर केंद्र सरकार को ऐसी किसी स्थिति का पता चला था तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस बारे में बात क्यों नहीं की गई? असली मुद्दों से भटकाने की साजिश हो रही है।

2019 और 2020 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया

गृह मंत्रालय ने अपनी चिट्ठी में BSF द्वारा पेश की गई 2019 और 2020 की रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि इन दो सालों में 58 बंधक मजदूरों को छुड़ाकर पंजाब पुलिस के हवाले किया गया था। हालांकि, इस पत्र में आरोपों के बारे में कोई डॉक्यूमेंट या शिकायत की जानकारी नहीं भेजी गई है। पत्र में लिखा गया है कि मजदूरों को अक्सर नशा देकर खेतों में काम करवाया जाता है। तय समय से भी अधिक काम करवाया जा रहा है और उन्हें मजदूरी भी नहीं दी जाती है।

पत्र में यह भी लिखा गया है कि पंजाब के सीमांत जिलों गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर में खेतों में काम करने वाले अधिकतर मजदूर यूपी और बिहार के पिछड़े इलाकों और गरीब परिवारों से हैं। मानव तस्करी करने वाले गिरोह ऐसे मजदूरों को अच्छे वेतन का लालच देकर पंजाब लाते हैं, लेकिन पंजाब पहुंचने पर उनका शोषण किया जाता है और यही नहीं, उनसे अमानवीय व्यवहार किया जाता है जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।