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क्या काम करेगा दीदी के इमोशनल कार्ड का यह खेल?

15 Mar. West Bengal: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में सियासी उठापटक तेज हो रही है। बंगाल की सत्ता पाने के लिए एक और बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं एक और बंगाल की सत्ता संभाल रहीं दीदी भी अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं। ममता बनर्जी खुलकर इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं। नंदीग्राम में चोटिल होने के बाद रविवार को उन्होंने पहली बार कोलकाता में रोड शो किया। इस रोड शो की खास बात यह रही कि, इसमें उन्होंने ना हमले को साजिश बताया और ना ही मोदी पर वार किया। उन्होंने लोगों को भावनात्मक जोड़ा और कहा कि, ‘भले ही मैं दर्द में हूं, लेकिन आप लोगों के सामने मेरा दर्द कुछ भी नहीं।’

सोमवार को उन्होंने जंगल महल में आने वाले पुरुलिया में व्हीलचेयर पर दो रैली की। 16 को बागोड़ा और 17 को झाड़ग्राम में भी ऐसे ही रैली करते नजर आएंगी। इसमें भी वे व्हील चेयर पर दिखाई देने वाली हैं। टीएमसी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक यह कहते नजर आ रहे हैं कि एक तरफ बीजेपी जैसे ताकतवर पार्टी है, जिसके पास संसाधन हैं, पैसा है। वहीं, दूसरी ओर एक अकेली महिला है, जो इन सभी से लड़ रही है। कुल मिलाकर टीएमसी लोगों के सहानुभूति वोट पाने के फिराक में है।

यह पहली दफा नहीं है की ममता इमोशनल कार्ड खेल रही हैं। बंगाल की राजनीति में ऐसा अक्सर देखा गया है की ममता अपना इमोशनल कार्ड इस्तेमाल किया है और उसके असर भी दिखाई दिए हैं। जब वामपंथी राज कर रहे थे तब भी वे अक्सर ऐसा करते नजर आईं हैं। तब वे कहती थीं की एक और वामपंथियों की ताकत है तो दूसरी ओर एक अकेली महिला है। इसका उन्हें फायदा भी मिला और 2011 में ममता दीदी सत्ता में आईं।

वरिष्ठ पत्रकार श्यामलेंदु मित्रा कहते हैं, तब और अब में जमीन-आसमान का फर्क है। तब ममता विपक्ष में थीं। उनके साथ तब सिक्योरिटी भी नहीं हुआ करती थी। वे जन आंदोलनों में शिरकत करती थीं। इसीलिए लोगों में उनके लिए सहानुभूति थी, लेकिन अब वह खुद सरकार में हैं। उनके पास सुरक्षा का कवच है। ऐसे में अब ममता दीदी का इमोशनल कार्ड लोगों पर कैसे काम करता है वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

क्या सोशल मीडिया ममता दीदी के इमोशनल कार्ड को फेल करेगा?

बंगाल की राजनीति में गहरी पकड़ रखने वाले पत्रकार प्रसून आचार्य का मानना है कि चोटिल होने के बाद सहानुभूति वोट मिलना इस बार ममता दीदी के लिए कुछ मुश्किल साबित हो सकता है। चौकी सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो गांव-गांव तक पहुंच चुके हैं। हर कोई यह जानता है कि ममता के साथ जो हुआ वह हादसा था, ना कि हमला।

वरिष्ठ पत्रकार प्रसून कहते हैं कि, ममता नहीं टीएमसी के कार्यकर्ताओं को ही परेशानी में डाल दिया है। इतनी चोट लगी थी, तो वे उसके अगले दिन ही कैसे प्रचार में जुट गईं? टीएमसी कार्यकर्ता ही दबी जुबान से कह रहे हैं कि 1 हफ्ते बाद ही उन्हें मैदान में आना था। ताकि लोगों के मन में कोई सवाल ना आए।’

TMC ने कहा- कुर्सियां खाली रह गईं, इसलिए अमित शाह ने वर्चुअल रैली की

सोमवार को जंगलमहल के ही झारग्राम में गृहमंत्री अमित शाह की रैली भी थी, लेकिन ऐन मौके पर BJP की तरफ से बताया गया कि हेलिकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने के चलते शाह की रैली वर्चुअल होगी। वे सभास्थल पर नहीं मौजूद रह पाएंगे। इसके कुछ ही मिनटों बाद तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि रैली में कुर्सियां खाली थीं। पब्लिक नहीं आई इसलिए अमित शाह ने सभास्थल पर आकर रैली नहीं की।

तृणमूल कांग्रेस ने सभास्थल के फोटो, वीडियो भी जारी किए। जिनमें कई कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं। खबरें ये भी आईं कि कई बसों को सभास्थल से पहले ही रोक दिया गया। जिस कारण बहुत से लोग यहां पहुंच ही नहीं सके। रविवार को ही अमित शाह ने खड़गपुर में रोड शो किया था, जिसमें बड़ी भीड़ जुटी थी।

पुरूलिया में 18 को मोदी की रैली होगी

दीदी की तीन रैलियों के बाद 18 मार्च को पुरुलिया में पीएम मोदी की रैली होने जा रही है। लोकसभा में BJP ने जंगलमहल में बड़ी जीत दर्ज की थी। पार्टी इस जीत को विधानसभा में बरकरार रखना चाहती है। इसलिए यहां अमित शाह और मोदी की रैलियां करवाई जा रही हैं। जंगलमहल में पहले दो चरणों में ही वोटिंग होने वाली है। इसलिए अब सभी पार्टियों का फोकस यहां हैं।

एक तरफ ममता बनर्जी यहां इमोशनल कार्ड खेल रही हैं तो वहीं BJP मुस्लिम तुष्टिकरण, तोलाबाजी, बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठा रही है। ममता की चोट को भी नौटंकी बताया जा रहा है। BJP की कोशिश है कि पहले चरण के मतदान से पहले ही ममता के इस दांव को फीका कर दिया जाए। इसलिए पार्टी ने ममता की मेडिकल रिपोर्ट भी सार्वजनिक करने की मांग की है।