पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके मद्देनजर, भारत सरकार ने 7 मई, 2025 को गुजरात के 19 शहरों सहित देश के 244 शहरों में शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला किया है। इस दौरान शाम 7:30 से 8:00 बजे के बीच ब्लैकआउट किया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। गुजरात में मॉक ड्रिल को लेकर गांधीनगर में समीक्षा बैठक भी आयोजित की गई।
नर्मदा जिले में सिविल डिफेंस के तहत मॉक ड्रिल: कलेक्टर अंकित पन्नू ने बताया कि नर्मदा जिले में 7 मई को शाम 4 से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल होगी।
नवसारी में कलेक्टर क्षिप्रा आग्रे की प्रेस कॉन्फ्रेंस: नवसारी में मॉक ड्रिल की तैयारियों को लेकर कलेक्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
वडोदरा में मॉक ड्रिल की घोषणा: केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, वडोदरा में 7 मई को शाम 4 से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल होगी। इसमें हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन सक्रिय किए जाएंगे। नागरिकों और छात्रों को दुश्मन के हमलों के दौरान आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शाम 7:30 से 8:00 बजे तक ब्लैकआउट होगा, ताकि जरूरत पड़ने पर एक साथ बिजली बंद की जा सके, जिससे दुश्मन लक्ष्य न देख सके। महत्वपूर्ण इमारतों और स्थानों को छिपाने की व्यवस्था होगी। साथ ही, स्थानांतरण योजनाओं को अपडेट और रिहर्सल किया जाएगा।
वडोदरा शहर के पुलिस आयुक्त नरसिम्हा कोमार ने बताया कि वडोदरा पुलिस विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी इस मॉक ड्रिल में शामिल होंगे। आपदा के समय सुरक्षा उपायों का अभ्यास किया जाएगा और नागरिकों को इसकी जानकारी दी जाएगी। सिविल डिफेंस द्वारा 45 स्थानों पर सायरन लगाए गए हैं, और भविष्य में और स्थानों पर सायरन स्थापित किए जाएंगे।
अंकलेश्वर में मॉक ड्रिल: अंकलेश्वर में ONGC पर शाम 4 से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल होगी। अंधेरा होने पर शाम 7:30 से 8:?00 बजे तक ब्लैकआउट किया जाएगा। प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
महेसाणा में मॉक ड्रिल: महेसाणा में 7 मई को दोपहर 4 से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल होगी। जिला कलेक्टर कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। महेसाणा में 5 महत्वपूर्ण स्थानों – दूधसागर डेयरी, ONGC, धरोई डैम, मारुति प्लांट और उंझा APMC – पर मॉक ड्रिल होगी। नागरिकों से इसे गंभीरता से लेने की अपील की गई है। शाम 7:45 बजे ब्लैकआउट होगा। स्कूल-कॉलेजों के लिए विशेष आयोजन किया गया है। मॉक ड्रिल के दौरान तीन बार सायरन बजाया जाएगा।
सिविल डिफेंस जिलों का वर्गीकरण: सिविल डिफेंस जिलों को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। गुजरात में श्रेणी 1 में 3 जिले, श्रेणी 2 में 10 और श्रेणी 3 में 6 जिले शामिल हैं।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य
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- हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन को सक्रिय करना।
- नागरिकों और छात्रों को दुश्मन के हमलों के दौरान आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना।
- शाम 7:30 से 8:00 बजे तक ब्लैकआउट की व्यवस्था करना, ताकि बिजली बंद कर दुश्मन को लक्ष्य देखने से रोका जा सके।
- महत्वपूर्ण इमारतों और स्थानों को छिपाने की व्यवस्था।
- स्थानांतरण योजनाओं को अपडेट और रिहर्सल करना।
7 मई को युद्ध सायरन बजे तो क्या करें?
गृह मंत्रालय ने युद्ध जैसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए 7 मई को कई राज्यों में शाम 4 से रात 8 बजे तक मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। छात्रों और नागरिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। आपातकाल में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल महत्वपूर्ण है। यदि 7 मई को अचानक तेज और डरावना सायरन सुनाई दे, तो घबराएं नहीं। यह कोई आपात स्थिति नहीं, बल्कि युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी के लिए मॉक ड्रिल है। इस दौरान ‘युद्ध सायरन’ बजेगा, जो लोगों को युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में क्या करना है, यह बताएगा। 1971 के युद्ध के बाद पहली बार भारत सरकार ने ऐसी मॉक ड्रिल का आदेश दिया है।
युद्ध सायरन कहां लगाए जाते हैं?
ये सायरन आमतौर पर प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशनों, सैन्य ठिकानों और शहर के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में ऊंचाई पर लगाए जाते हैं। इनका उद्देश्य सायरन की आवाज को यथासंभव दूर तक पहुंचाना है।
युद्ध सायरन कैसा होता है?
‘रेड सायरन’ एक तेज चेतावनी प्रণाली है, जो युद्ध, हवाई हमले या आपदा जैसी आपात स्थितियों की सूचना देती है। इसमें लगातार ऊंची-नीची आवाज होती है, जो इसे सामान्य हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज से अलग बनाती है। यह 120-140 डेसिबल की आवाज करता है और 2-5 किलोमीटर तक सुनाई देता है।
भारत में युद्ध सायरन का इतिहास:
भारत में 1962 के चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध, और कारगिल युद्ध के दौरान सायरन का उपयोग किया गया। ये मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अमृतसर जैसे शहरों में लगाए गए थे।
सायरन बजने पर क्या करें?
सायरन का मतलब है कि तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाना चाहिए। मॉक ड्रिल के दौरान घबराएं नहीं। खुले क्षेत्रों से दूर रहें, घरों या सुरक्षित इमारतों में जाएं। टीवी, रेडियो और सरकारी चेतावनियों पर ध्यान दें। अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। वास्तविक युद्ध में, सायरन बजने के 5-10 मिनट में सुरक्षित स्थान पर पहुंचना जरूरी है।
यह मॉक ड्रिल राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक तैयारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल के आतंकी हमलों और सीमा पर तनाव को देखते हुए, शाम 4 से रात 8 बजे तक की यह ड्रिल न केवल प्रशासन की सतर्कता दर्शाती है, बल्कि नागरिकों में जागरूकता और आत्मरक्षा की भावना भी जगाती है। शाम 7:30 से 8:00 बजे तक का ब्लैकआउट युद्ध जैसी स्थिति में दुश्मन को लक्ष्य पहचानने से रोकने की रणनीति का अभ्यास है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि नागरिकों को इस ड्रिल के बारे में पहले से पूरी जानकारी दी जाए, ताकि घबराहट न फैले। ग्रामीण और छोटे शहरों में भी ऐसी तैयारियों को बढ़ावा देना चाहिए। यह कदम भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
नोट: इस मॉक ड्रिल में भाग लेते समय नागरिकों से अनुरोध है कि वे इसे गंभीरता से लें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

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