CATEGORIES

April 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
Tuesday, April 22   3:54:40

‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ ; दिल्ली में वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का विराट प्रदर्शन, विपक्ष भी समर्थन में 

देश की राजधानी दिल्ली आज एक बड़े जनांदोलन की साक्षी बनी, जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के नेतृत्व में सैकड़ों मुस्लिम संगठनों ने नए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। यह आयोजन ‘वक्फ बचाव अभियान’ के तहत तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया, जिसे ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ (वक्फ की हिफाजत) नाम दिया गया।

 क्यों उठी विरोध की आवाज?

AIMPLB का कहना है कि हाल ही में पारित वक्फ संशोधन कानून न केवल वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को खत्म करता है, बल्कि यह संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का भी हनन करता है। बोर्ड का आरोप है कि यह कानून सरकार या अन्य निजी पक्षों को वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाने का कानूनी रास्ता दे देता है।

बोर्ड को इस बात पर भी आपत्ति है कि अब वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल करने की अनुमति दी गई है, साथ ही जिला कलेक्टरों को संपत्तियों का मूल्यांकन करने का अधिकार दे दिया गया है — जिसे मुस्लिम संगठनों ने अनुचित हस्तक्षेप करार दिया है।

 कौन-कौन आया समर्थन में?

इस विरोध कार्यक्रम में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, RJD सांसद मनोज झा, कांग्रेस के इमरान मसूद और सपा के मोहिबुल्लाह नदवी जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं की मौजूदगी की संभावना जताई गई। इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी हिंद सहित देशभर के कई बड़े मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि इस आयोजन में शामिल हुए।

 आगे की रणनीति

AIMPLB ने इस आंदोलन को शाह बानो केस की तरह एक राष्ट्रव्यापी जनआंदोलन में बदलने की तैयारी कर ली है। इसके तहत:

  • 30 अप्रैल को देशभर में लोग रात 9 बजे से आधे घंटे के लिए ‘ब्लैकआउट’ करेंगे।

  • 7 मई को रामलीला मैदान में एक और विशाल प्रदर्शन आयोजित होगा।

  • जुमे की नमाज के बाद ह्यूमन चेन बनाकर शांति पूर्ण विरोध दर्ज किया जाएगा।

  • देश के 50 बड़े शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और धार्मिक नेताओं के साथ बैठकें होंगी।

महिलाओं को भी इस आंदोलन में जोड़ने के लिए AIMPLB की महिला विंग विशेष कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

 उद्देश्य क्या है?

AIMPLB का साफ कहना है कि यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार इस विवादित कानून को पूरी तरह से निरस्त नहीं कर देती। इसे ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ अभियान नाम दिया गया है। AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने वीडियो संदेश के जरिए पूरे मुस्लिम समुदाय से शांतिपूर्ण ढंग से इस आंदोलन का हिस्सा बनने की अपील की है।

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कानून का बचाव करते हुए कहा था कि इस संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में हो रहे अतिक्रमण, पक्षपात और दुरुपयोग को रोकना है। उन्होंने इसे एक ‘सुधारात्मक पहल’ बताया, जिसे पारदर्शिता लाने के लिए जरूरी कहा।

गौरतलब है कि यह बिल 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में पारित हुआ था। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी, और इसके साथ ही गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। अब इसकी लागू होने की तारीख केंद्र सरकार अलग से घोषित करेगी।

यह आंदोलन केवल एक कानून के विरोध की लड़ाई नहीं है, बल्कि संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की पुकार भी है। अगर किसी कानून से समुदाय विशेष को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में खतरा महसूस होता है, तो लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत उसे अपनी बात रखने और विरोध करने का अधिकार है। लेकिन, यह भी उतना ही जरूरी है कि विरोध शांति और संवाद के माध्यम से हो, जिससे समाज में सौहार्द बना रहे।

वक्फ संपत्तियां केवल इमारतें नहीं हैं, बल्कि एक सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत हैं — और इन्हें बचाने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है, चाहे वह सरकार हो या समाज।