देशभर में अप्रैल की तपती दोपहरें अब आम नहीं, बल्कि ‘आपदा’ बन चुकी हैं। राजस्थान की जलती धरती, तेलंगाना की संवेदनशीलता और पहाड़ी राज्यों में बदलता मिजाज – भारत का मौसम फिलहाल हर रंग में संकट की कहानी कह रहा है।
राजस्थान में सूरज कर रहा प्रचंड प्रहार!
राजस्थान के जैसलमेर में बुधवार को 46°C तापमान दर्ज किया गया, जो पिछले 6 वर्षों में अप्रैल का सबसे अधिक तापमान है। जयपुर, जोधपुर समेत 17 जिलों में हीटवेव अलर्ट जारी हुआ है, जिनमें से 4 जिलों में रेड अलर्ट लागू है। यह तापमान सामान्य औसत से लगभग 7 डिग्री ज्यादा है।
सड़कें दोपहर में वीरान हो जाती हैं, लोग सुबह जल्दी और शाम ढलते ही काम पर निकलने लगे हैं। गर्म हवाएं ऐसी हैं कि छांव में खड़े रहना भी सजा लगता है।
मध्यप्रदेश में छाते बने कवच, टेंट बनी बारात की ढाल!
बारिश और आंधी की विदाई के बाद मध्यप्रदेश में गर्मी ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। रतलाम में तापमान 42.6°C रहा, जो प्रदेश में सबसे अधिक है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर – हर शहर अब सूरज के कहर से बचाव की जुगत में लगा है।
इंदौर में टेंट के नीचे बारातें निकल रहीं हैं, तो भोपाल में लोग धूप से बचने के लिए छाते और गीले कपड़ों का सहारा ले रहे हैं। गर्मी ने अब जीवनशैली को बदलकर रख दिया है।
तेलंगाना की अनोखी पहल: ‘लू’ को आपदा घोषित किया
जब लू जानलेवा हो जाए, तो उसे सिर्फ मौसम का हिस्सा नहीं माना जा सकता। तेलंगाना सरकार ने लू को आधिकारिक रूप से आपदा घोषित किया है, जो देश में पहली बार हुआ है।
इतना ही नहीं, लू से जान गंवाने वालों के परिजनों को ₹4 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा भी की गई है। ये फैसला न केवल मानवीय संवेदना का प्रतीक है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए उदाहरण भी है। जब प्रकृति विकराल हो, तो प्रशासन का संवेदनशील होना जरूरी है।
बिजली, आंधी और ओले: बाकी राज्यों में मौसम ने बदला रंग
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जम्मू-कश्मीर में अचानक मौसम ने करवट ली, आंधी से पेड़ और मोबाइल टावर गिर गए।
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हिमाचल प्रदेश में 18 से 22 अप्रैल तक ऑरेंज अलर्ट जारी, बारिश और बर्फबारी के आसार।
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बिहार, बंगाल, असम, झारखंड – भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी।
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तमिलनाडु (चेन्नई) – बुधवार को हुई भारी बारिश से शहर जलमग्न।
जलवायु चेतावनी नहीं, चिल्ला रही है!
आज जो हम देख रहे हैं, वो सिर्फ मौसम की खबर नहीं, एक जलवायु चेतावनी है। 46 डिग्री पर पारा चढ़ना, लू को आपदा घोषित करना, और ओलों से मवेशियों की मौत – ये सब संकेत हैं कि अब हमें पर्यावरण से समझौता बंद कर देना चाहिए।
हमें अब सतर्कता नहीं, संवेदनशीलता और सतत विकास की जरूरत है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, कंक्रीट के जंगल, जल स्रोतों की अनदेखी – ये सब मिलकर हमें इस विनाश की ओर धकेल रहे हैं।
मौसम की तस्वीरें: हर फ्रेम में संकट
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चेन्नई की सड़कों पर जलभराव में भागता बच्चा।
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जम्मू में आंधी से उखड़े पेड़ और गिरे टावर।
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इंदौर की बारातें अब टेंट के नीचे चल रही हैं।
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जैसलमेर की तपती रेत पर चप्पल भी पिघल जाए!
अंत में एक अपील: प्रकृति को समय पर पहचानिए, वरना वक्त आपको पहचानना छोड़ देगा!
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और हाँ, घर से बाहर निकलें तो पानी जरूर साथ रखें और बुजुर्गों-बच्चों का खास ख्याल रखें।

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