अमेरिका और चीन के बीच 2025 में जारी व्यापार युद्ध ने वैश्विक तेल बाजारों में अस्थिरता पैदा कर दी है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें $70 प्रति बैरल से नीचे गिर गई हैं, जो दिसंबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है ।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद, भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है। हाल ही में, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में ₹2 प्रति लीटर की वृद्धि की है, जो 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी हुई है ।
सरकार और तेल कंपनियों की भूमिका
सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां सस्ते कच्चे तेल से लाभ कमा रही हैं। हालांकि, इन लाभों का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच रहा है। उत्पाद शुल्क में वृद्धि और खुदरा कीमतों में स्थिरता से सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है, जबकि उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल रही है।
भविष्य की संभावनाएं
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, वैश्विक आर्थिक मंदी और ओपेक देशों की आपूर्ति बढ़ने के कारण 2025 के अंत तक ब्रेंट क्रूड की कीमतें $63 प्रति बैरल तक गिर सकती हैं । यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की संभावना बढ़ सकती है।
जब तक सरकार उत्पाद शुल्क में कमी नहीं करती और तेल कंपनियां अपने लाभांश को उपभोक्ताओं के साथ साझा नहीं करतीं, तब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय कमी की संभावना कम है। हालांकि, वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट से भविष्य में राहत मिल सकती है।

More Stories
वक्फ कानून पर संग्राम ; सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी और मुस्लिम समाज की नाराज़गी, लेकिन क्या समाधान की कोई राह है?
अयोध्या में राम मंदिर की नई शोभा : संत तुलसीदास की प्रतिमा से सजा श्रीराम जन्मभूमि परिसर
भारतीय रेलवे में पहली बार: पंचवटी एक्सप्रेस में शुरू हुआ ऑनबोर्ड ATM सेवा का परीक्षण