पश्चिम बंगाल एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण बेहद चिंताजनक है। केंद्र सरकार द्वारा पारित नए वक्फ कानून के विरोध में राज्य के कई हिस्सों में 11 और 12 अप्रैल को जबरदस्त हिंसा भड़क उठी, जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। मुर्शिदाबाद, नॉर्थ 24 परगना, मालदा और हुगली जिलों में हिंसक प्रदर्शन, आगजनी, लूटपाट और जानलेवा हमले हुए। अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 150 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
हिंसा की आग में झुलसे जिले, 1600 जवान तैनात
हिंसा को काबू में लाने के लिए केंद्र सरकार ने स्थिति को गंभीर मानते हुए 21 कंपनियों के तहत 1600 से अधिक सुरक्षाबलों को तैनात किया है। इनमें BSF के 300 जवान भी शामिल हैं। संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
विवाद की जड़ – नया वक्फ कानून क्या है?
2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में पारित हुआ वक्फ संशोधन बिल अब कानून बन चुका है। राष्ट्रपति द्वारा 5 अप्रैल को मंजूरी दिए जाने के बाद इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार, पक्षपात और अतिक्रमण रोकने के लिए लाया गया है। लेकिन, विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।
सियासत में आग: टीएमसी, बीजेपी और ओवैसी आमने-सामने
विवाद तब और बढ़ गया जब TMC सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने हिंसा के बीच चाय पीते हुए तस्वीर पोस्ट की। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, “बंगाल जल रहा है और सांसद चाय की चुस्की में हिंदुओं के कत्लेआम का मजा ले रहे हैं।”
उधर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए केंद्र पर वक्फ बोर्ड पर कब्जे की कोशिश का आरोप लगाया।
हत्या, बमबारी और लूटपाट – बंगाल बना रणभूमि
मुर्शिदाबाद के सुइटी थाना क्षेत्र में पिता-पुत्र की पीट-पीटकर हत्या, क्रूड बम फेंकने, बसों को जलाने और पुलिस पर पथराव जैसी घटनाएं सामने आई हैं। 10 पुलिसकर्मी घायल, 2 लोग गोली लगने से गंभीर रूप से जख्मी हुए।
हाईकोर्ट और राज्यपाल ने ली सख्ती से सुध
कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया और NIA जांच की मांग को सुनवाई योग्य माना।
राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने गृह मंत्री अमित शाह से बात कर स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया और कानून तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
AIMPLB का ऐलान – 87 दिन का विरोध अभियान
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ‘वक्फ बचाओ अभियान’ के तहत 1 करोड़ हस्ताक्षर प्रधानमंत्री को भेजने की योजना बनाई है। यह विरोध 7 जुलाई तक चलेगा।
सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती – 17 याचिकाएं दाखिल
नए कानून की संवैधानिकता को लेकर 17 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
यह मुद्दा केवल एक धार्मिक या राजनीतिक विमर्श नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक और सामाजिक संरचना की परीक्षा है। जिस प्रकार कानून के विरोध में हिंसा, आगजनी और नफरत फैलाने वाले कृत्य हुए हैं, वह भारत के लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।
विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन उसे कानून व्यवस्था और आम जनता की सुरक्षा के खिलाफ नहीं जाना चाहिए। वहीँ, सरकार को भी चाहिए कि किसी भी कानून को लागू करने से पहले पर्याप्त जनसंवाद और पारदर्शिता रखे ताकि गलतफहमियां और आक्रोश पैदा न हों।
वक्फ कानून फिलहाल एक कानूनी मसला नहीं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विस्फोट का कारण बनता जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर स्थिति को काबू में लाना होगा और सुप्रीम कोर्ट को इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द, निष्पक्ष और व्यापक फैसला देना चाहिए।

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