क्या नरेंद्र मोदी राजनीति से रिटायर होंगे या 2029 में फिर होंगे PM? जानिए क्यों उठ रहे हैं सवाल और क्या है BJP-संघ की रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो जाएंगे। इसी उम्र को लेकर राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस ने जन्म लिया है—क्या मोदी 75 वर्ष की उम्र में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेंगे? या फिर 2029 में एक बार फिर प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे?
BJP में एक अघोषित परंपरा रही है कि 75 वर्ष के बाद नेता मार्गदर्शक मंडल में भेजे जाते हैं, और उन्हें चुनावी राजनीति से अलग कर दिया जाता है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ ऐसा हो चुका है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह नियम नरेंद्र मोदी पर भी लागू होगा?
चर्चा की शुरुआत कहां से हुई?
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी नागपुर स्थित RSS मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। इसी के बाद शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि मोदी जी अपने रिटायरमेंट प्लान पर चर्चा करने गए थे। उन्होंने यहां तक कहा कि उनका उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा।
CM देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार करते हुए कहा कि मोदी जी का उत्तराधिकारी चुनने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि 2029 में भी वही प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमारे यहां जीवित पिता के रहते उत्तराधिकारी तय करने की परंपरा नहीं है, यह तो ‘मुगल परंपरा’ है।
75 की उम्र का ‘अनकहा नियम’ और मोदी
BJP में यह अनौपचारिक परंपरा 2014 के बाद ज्यादा स्पष्ट रूप से दिखने लगी थी। आडवाणी और जोशी जैसे नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर किया गया, जबकि गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने भी 75 की उम्र में पद छोड़ा।
लेकिन यह नियम संवैधानिक नहीं है। भारतीय संविधान में न तो राजनीति से रिटायरमेंट की कोई उम्र तय की गई है और न ही यह लिखा है कि कितनी बार कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है। उम्र केवल चुनाव लड़ने की न्यूनतम सीमा तय करती है, अधिकतम नहीं।
क्या संघ सच में खोज रहा है उत्तराधिकारी?
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई और अमिताभ तिवारी की राय एक जैसी है—फिलहाल मोदी के विकल्प के तौर पर BJP या संघ के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो उन्हें चुनौती दे सके या उनके जैसी लोकप्रियता रखता हो। संघ ने सत्ता को लेकर हमेशा व्यावहारिक नीति अपनाई है, और वह इतनी बड़ी गलती नहीं करेगा कि जीत दिलाने वाले नेता को हटा दे।
क्या अमित शाह या योगी बन सकते हैं PM फेस?
यूं तो अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं के नाम आगे आते हैं, लेकिन जब तक मोदी राजनीति में सक्रिय हैं, इन नेताओं की दावेदारी केवल चर्चा तक ही सीमित रहेगी। बीजेपी में सत्ता का संतुलन बहुत गहराई से संघ की निगरानी में होता है, और अंतिम निर्णय वहीं से आता है।
क्या 2029 में भी मोदी ही होंगे चेहरा?
BJP के बड़े नेता जैसे जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और अमित शाह साफ कह चुके हैं कि 2029 में भी नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। खुद मोदी भी कह चुके हैं कि वे “ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के 10वें संस्करण में भी आएंगे”, जिससे ये संकेत मिला कि वे 2029 तक सक्रिय राजनीति में रहेंगे।
क्या पहले भी नियम टूटा है?
हां। बीएस येदियुरप्पा को 79 वर्ष की उम्र में BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया। मध्यप्रदेश और गुजरात चुनावों में भी 75 वर्ष से ऊपर के नेताओं को टिकट मिला है। यानी जरूरत और राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से यह ‘अनौपचारिक नियम’ लचीला रहा है।
राजनीति में उम्र से ज्यादा मायने रखता है—नेतृत्व, जनविश्वास और विजन। नरेंद्र मोदी की छवि आज भी BJP के सबसे बड़े ब्रांड के रूप में बनी हुई है। उन्हें हटाने की कोई राजनीतिक, संगठनात्मक या जन समर्थन संबंधी वजह नहीं दिखती।
BJP के पास फिलहाल कोई ऐसा सर्वमान्य नेता नहीं है जो 2029 में मोदी की जगह ले सके। ऐसे में पार्टी चाहे तो संविधान की तरह अपने ‘अनलिखे नियम’ को लचीला बना सकती है। 75 का आंकड़ा अगर नेतृत्व के दम और जनता के भरोसे के आगे आड़े आए, तो शायद इस बार यह ‘परंपरा’ भी मोदी के सामने झुक जाए।
राजनीति में उम्र सिर्फ एक संख्या है। मोदी के लिए भी, और BJP के लिए भी।
2029 की राह अभी लंबी है, पर एक बात तय है—चर्चा चाहे जितनी हो, PM मोदी की सियासी पारी अभी खत्म होने वाली नहीं लगती।

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