अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% का टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 9 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इस निर्णय का उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है।
प्रभावित क्षेत्र:
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इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत से अमेरिका को लगभग $14 बिलियन मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। नए टैरिफ से इन उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
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रत्न और आभूषण: इस क्षेत्र में भारत से अमेरिका को $9 बिलियन का निर्यात होता है। 26% टैरिफ से इन उत्पादों की मांग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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कृषि उत्पाद: विशेष रूप से समुद्री खाद्य पदार्थ, मांस, चीनी, और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर टैरिफ बढ़ने से इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अमेरिकी बाजार में इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।
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फुटवियर और वस्त्र: इन क्षेत्रों में भी टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उच्च कीमतों से मांग कम हो सकती है।
फार्मास्यूटिकल्स पर प्रभाव:
हालांकि, भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उद्योग को इस टैरिफ से छूट दी गई है। अमेरिका में भारतीय दवाओं की उच्च मांग को देखते हुए, यह छूट इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक है।
व्यापार वार्ता और भविष्य की दिशा:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच व्यापार वार्ता जारी है, जिसमें टैरिफ मुद्दों पर चर्चा हो रही है। भारत, अमेरिकी उत्पादों पर अपने टैरिफ कम करने पर विचार कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन स्थापित हो सके।
नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण, कृषि, फुटवियर, और वस्त्र क्षेत्रों में। हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र को छूट मिलने से कुछ राहत मिली है। व्यापार वार्ताओं के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान खोजने का प्रयास जारी है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में सुधार हो सके।

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