12 Jan. Vadodara: पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड वैक्सीन के 56.5 लाख डोज देश के 13 शहरों के लिए रवाना हो गए हैं। ऐसे में सीरम इंस्टिट्यूट के CEO अदार पूनावाला ने इसे ऐतिहासिक पल बताया और कहा, ‘हमारी चुनौती देश के हर नागरिक तक वैक्सीन को पहुंचाने की है। 2021 में यही चैलेंज है और देखते हैं कि ये कैसे पूरा होता है।’
SII के CEO ने कहा कि हम सरकार की रिक्वेस्ट पर शुरुआती 10 करोड़ डोज 200 रुपए के ख़ास दाम पर देंगे। हम आम आदमी, जरूरतमंदों, गरीबों और हेल्थकेयर वर्कर्स को सपोर्ट करना चाहते हैं, जिसके बाद हम बाजार में ये वैक्सीन एक हजार रुपए के दाम पर बेचेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि, ‘बहुत सारे देश भारत और PMO को रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन उनके देशों में भी पहुंचाई जाए। हम हर किसी को खुश देखना चाहते हैं। हमें अपनी जनता और देश का ध्यान भी रखना है। हम साउथ अफ्रीका और साउथ अमेरिका में वैक्सीन सप्लाई करने की कोशिश कर रहे हैं। हम हर जगह कुछ न कुछ कर रहे हैं। हम हर महीने 7 से 8 करोड़ डोज तैयार करेंगे। भारत और विदेशों में इनमें से कितनी डोज दी जाएंगी, इस योजना पर काम चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने योजना बनाई है। हमने भी ट्रक, वैन और कोल्ड स्टोरेज के लिए प्राइवेट प्लेयर्स से पार्टनरशिप की है।’
कोवीशील्ड के दो डोज 28 दिन के अंतराल में लगाए जाएंगे। दूसरा डोज देने के दो हफ्ते बाद शरीर में कोरोना से बचाने वाली एंटीबॉडीज़ बन जाएंगी। कोवीशील्ड के ट्रायल के दौरान जो नतीजे आए हैं, उनके अनुसार इसका हाफ डोज दिया गया तो इफिकेसी 90% रही। एक महीने बाद फुल डोज में इफिकेसी 62% रही। दोनों तरह के डोज में औसत इफिकेसी 70% रही। ब्रिटिश रेगुलेटर्स ने इसे 80% तक असरकारक माना है।
आगे वैक्सीन की बात करें तो, सरकार ने सीरम की कोवीशील्ड के 1.10 करोड़ डोज और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के 38.50 लाख डोज का ऑर्डर दिया है। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में बताया कि चार और वैक्सीन प्रोसेस में हैं। अमेरिका की कंपनी फाइजर भी वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए अप्लाई कर चुकी है। अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला ZyCoV-D नाम से वैक्सीन बना रही है। इसे आने में लगभग तीन महीने का वक्त लग सकता है। इसके अलावा रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट की बनाई स्पुतनिक-V का देश में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी फेज-2/3 ट्रायल्स जारी है।
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