शेयर बाजार में सोमवार, 8 अप्रैल को ज़बरदस्त रिकवरी देखने को मिली। शुक्रवार और रविवार की भारी गिरावट के बाद सोमवार को सेंसेक्स ने 1200 अंकों की छलांग लगाई और 74,300 के ऊपर कारोबार करता दिखा। वहीं, निफ्टी में भी 350 अंकों की मजबूती आई और यह 22,500 के स्तर को पार कर गया।
इस तेज़ी का मुख्य कारण एशियाई बाज़ारों में आई तेजी और ओवरसोल्ड इंडिकेटर्स रहे, जिससे निवेशकों ने शॉर्ट-कवरिंग और नई खरीदारी शुरू की।
क्यों लौटी शेयर बाजार में रौनक?
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जापान का बाजार छलांग मारते हुए आगे बढ़ा:
टोक्यो का निक्केई इंडेक्स लगभग 6% की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर पॉजिटिव सेंटिमेंट बना। -
गिफ्टी निफ्टी से मिले संकेत:
NSE के इंटरनेशनल एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाला गिफ्टी निफ्टी 1.5% ऊपर था, जो भारतीय बाजार में मजबूती का संकेत दे रहा था। -
RSI इंडिकेटर्स ने दिखाए ओवरसोल्ड संकेत:
निफ्टी और सेंसेक्स तकनीकी चार्ट पर ओवरसोल्ड स्थिति में दिख रहे थे, जिससे निवेशकों को शॉर्ट-कवरिंग और बॉटम फिशिंग का मौका मिला।
7 अप्रैल की बड़ी गिरावट ने झटका दिया था
रविवार, 7 अप्रैल को बाजार में साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई थी। सेंसेक्स 2226 अंक यानी करीब 3% गिरकर 73,137 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 742 अंक टूटकर 22,161 पर आ गया था। इससे निवेशकों की कुल संपत्ति में लगभग 15 लाख करोड़ रुपए की कमी आ गई थी।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर बना गिरावट की वजह
बाजार की इस अस्थिरता के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता टैरिफ विवाद है। 3 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। भारत पर 26%, चीन पर 34%, जापान पर 24%, और वियतनाम पर तो पूरे 46% का टैरिफ लगाने का ऐलान हुआ।
इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 34% टैरिफ लगा दिया। ट्रम्प ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर चीन पीछे नहीं हटता, तो 10 अप्रैल से अतिरिक्त 50% टैरिफ लगा दिया जाएगा।
क्रूड ऑयल गिरा, स्लोडाउन की चिंता बढ़ी
टैरिफ वॉर का असर सिर्फ शेयर बाजार पर ही नहीं, बल्कि कच्चे तेल की कीमतों पर भी पड़ा है। मांग घटने के डर से ब्रेंट क्रूड में गिरावट आई, जो वैश्विक इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुस्ती का संकेत है।
9 अप्रैल से लागू होंगे ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’
अब अमेरिका ने ऐलान किया है कि 9 अप्रैल की रात से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए जाएंगे, जो दूसरे देशों के टैरिफ के जवाब में लगाए जाएंगे। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध और तेज़ होने की आशंका है।
शेयर बाजार की मौजूदा तेजी राहत की सांस जरूर है, लेकिन यह अस्थायी हो सकती है। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में धकेल सकता है। भारत जैसे उभरते बाजारों को इससे खास सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था निर्यात और विदेशी निवेश पर काफी हद तक निर्भर है।
सवाल ये है कि बाजार की यह रिकवरी लंबी दौड़ की घोड़ी होगी या एक पल की चमक? जवाब आने वाले कुछ हफ्तों में मिल जाएगा। निवेशकों को फिलहाल सतर्कता और समझदारी के साथ कदम रखने की ज़रूरत है।
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