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सूर्य ग्रहण 2025: 100 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग! जानिए कब और कैसे दिखेगा ये अनोखा नज़ारा

29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है। खास बात यह है कि इसी दिन शनि गोचर भी होगा, जो करीब 100 साल बाद का एक दुर्लभ संयोग है। ऐसे संयोगों का प्रभाव न केवल राशियों पर, बल्कि वैश्विक घटनाओं पर भी देखने को मिलता है।

कब और कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?

यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 2:21 बजे शुरू होगा और शाम 6:14 बजे समाप्त होगा। ग्रहण का मध्य समय 4:17 बजे रहेगा। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसे मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी ध्रुव, आर्कटिक महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा।

शनि गोचर का विशेष संयोग

शनि को ज्योतिष में न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। उनकी चाल सबसे धीमी होती है, और वे लगभग ढाई साल में एक राशि परिवर्तन करते हैं। इस बार शनि मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वे जून 2027 तक रहेंगे।

सालों बाद बन रहे इस संयोग का प्रभाव राशिचक्र पर स्पष्ट रूप से दिखेगा। साढ़ेसाती और ढैय्या जैसी स्थितियां भी राशियों पर प्रभाव डालेंगी। आइए जानते हैं किस राशि पर इसका कैसा असर पड़ेगा:

राशियों पर प्रभाव

  1. मेष राशि: साढ़ेसाती का आरंभ होगा। करियर में बदलाव हो सकता है और खर्चों में वृद्धि होगी। संतान पक्ष पर ध्यान देने की आवश्यकता है। शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाएं।
  2. वृष राशि: शनि का प्रभाव अनुकूल रहेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और करियर में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। रुके हुए कार्य पूरे होंगे। शनि मंत्र का नित्य जप करें।
  3. मिथुन राशि: शनि के परिणाम मिश्रित रहेंगे। करियर में बड़े परिवर्तन और स्थानांतरण के योग बन सकते हैं। संपत्ति लाभ होगा और लंबी यात्राएं हो सकती हैं। शनिवार को भोजन का दान करें।
  4. कर्क राशि: शनि की ढैय्या खत्म होने से राहत मिलेगी। विवाह के योग प्रबल होंगे। रोजगार में बदलाव संभव है। पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शनिवार को पीपल के नीचे दीपक जलाएं।
  5. सिंह राशि: ढैय्या की शुरुआत होगी। स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और नौकरी में जोखिम लेने से बचें। महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर लें। लोहे का छल्ला धारण करें।
  6. कन्या राशि: शनि मेहनत के बाद फल देंगे। संतान और परिवार की चिंता हो सकती है। करियर में स्थान परिवर्तन संभव है। मनचाही शादी के योग भी बन सकते हैं। शनि मंत्र का नियमित जाप करें।

सूर्य ग्रहण और शनि गोचर का यह संयोग उन लोगों के लिए आत्मचिंतन और कर्म सुधारने का समय है, जो अपनी कुंडली में शनि के प्रभाव से प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे समय में पूजा, ध्यान और सकारात्मक कार्यों में संलग्न रहना शुभ माना जाता है। ज्योतिष में ग्रहों का परिवर्तन एक अवसर की तरह होता है, जो नई ऊर्जा और संभावनाओं के द्वार खोलता है।

सभी राशियों के जातकों को यह समय सतर्कता और धैर्य से बिताना चाहिए। कर्म और सेवा को प्राथमिकता दें, क्योंकि शनि कर्मों के अनुसार फल देने के लिए जाने जाते हैं।

आशा है यह जानकारी आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करेगी।