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पेड़ काटना इंसान की हत्या से बदतर: सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला

नई दिल्ली: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध पेड़ कटाई पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे इंसान की हत्या से भी बदतर बताया। अदालत ने 454 पेड़ों के अवैध कटान के मामले में दोषियों पर प्रति पेड़ ₹1 लाख का जुर्माना लगाया। यह फैसला न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि समाज को भी यह संदेश देता है कि प्रकृति की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।

पेड़ केवल लकड़ी नहीं, जीवनदाता हैं!
पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं, जलवायु को संतुलित रखते हैं और हजारों जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अगर हम इसी तरह पेड़ों को काटते रहे, तो भविष्य में मानव जीवन संकट में पड़ सकता है।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कुछ बेहतरीन पहल
इस फैसले के बाद कई राज्य और संगठन पर्यावरण बचाने के लिए नई पहल कर रहे हैं।

“मेरा पेड़, मेरी जिम्मेदारी” अभियान:
महाराष्ट्र सरकार ने यह पहल शुरू की, जिसमें हर नागरिक को एक पेड़ लगाने और उसकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

“हरियाली सेना” – युवाओं की मुहिम:
उत्तर प्रदेश में कुछ युवाओं ने मिलकर “हरियाली सेना” बनाई, जो पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ के संदेश के साथ जगह-जगह वृक्षारोपण कर रही है।

दिल्ली का “मियावाकी जंगल” मॉडल:
जापानी तकनीक पर आधारित मियावाकी जंगल छोटे क्षेत्रों में घने जंगल विकसित करने की एक बेहतरीन तकनीक है। दिल्ली में इसे अपनाया गया है और कई छोटे-छोटे जंगल बनाए गए हैं।

“ग्रीन इंडिया मिशन”:
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया यह मिशन 2025 तक 10 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर जंगल बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।

स्कूलों में “ग्रीन पाठशाला” पहल:
कई स्कूलों ने अब बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए “ग्रीन पाठशाला” की शुरुआत की है, जहां छात्रों को पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी दी जाती है।

हम क्या कर सकते हैं.?
हर नागरिक को साल में कम से कम एक पेड़ लगाने और उसकी देखभाल करने की शपथ लेनी चाहिए यदि आप अवैध रूप से पेड़ कटाई देखते हैं, तो इसे तुरंत संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट करें।
अपने आसपास “ग्रीन क्लब” बनाकर स्थानीय स्तर पर पेड़ लगाने का अभियान शुरू करें।
घरों और बालकनी में छोटे-छोटे पौधे उगाकर हरियाली को बढ़ावा दें।

पेड़ों को बचाइए, भविष्य को सुरक्षित बनाइए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक सख्त चेतावनी और एक नया अवसर दोनों है। यह हमारे हाथ में है कि हम प्रकृति के रक्षक बनें या विनाश के गवाह। पेड़ों को बचाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है।
तो हम सभी मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें और धरती को हरा-भरा बनाएं!