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America passport

विद्यार्थियों के लिए अमेरिका जाना हुआ मुश्किल, तेजी से हो रही वीजा अर्जियों की अस्वीकृति, जानें कारण

डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के चलते भारतीय छात्रों और यात्रियों के लिए अमेरिका जाना कठिन होता जा रहा है। अमेरिका में छात्र वीजा (F-1 वीजा) अस्वीकृति दर लगातार बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 (अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024) में अमेरिका ने 41% छात्र वीजा अर्जियों को खारिज कर दिया था। यह दर पिछले एक दशक में सबसे अधिक है।

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के डेटा एनालिसिस के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में अमेरिका को कुल 6.79 लाख F-1 वीजा अर्जियां प्राप्त हुईं, जिनमें से 2.79 लाख (41%) को खारिज कर दिया गया। जबकि 2022-23 में 6.99 लाख अर्जियों में से 2.53 लाख (36%) को अस्वीकार किया गया था।

वीजा अप्रूवल में आई भारी गिरावट
हालांकि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने आधिकारिक तौर पर F-1 वीजा अस्वीकृति दर जारी नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 के पहले नौ महीनों में भारतीय छात्रों को दिए जाने वाले वीजा की संख्या 2023 की तुलना में 38% कम हो गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में वीजा अस्वीकृति की कुल संख्या (2.79 लाख) पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक दर्ज की गई। 2023-24 में कुल 4.01 लाख F-1 वीजा जारी किए गए, जो 2022-23 में जारी 4.45 लाख वीजा से कम हैं।

F-1 वीजा अस्वीकृति के मुख्य कारण
सख्त वेरिफिकेशन प्रक्रिया:
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने छात्र वीजा मंजूरी के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। वीजा आवेदकों के सभी दस्तावेजों की कड़ी जांच की जा रही है।

वीजा इंटरव्यू में देरी:
वीजा इंटरव्यू के लिए वेटिंग पीरियड बढ़ा दिया गया है, जिससे छात्रों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

इमिग्रेशन कड़ी निगरानी कर रहा है:
वीजा मिलने के बावजूद, अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारी छात्रों के प्रवेश से पहले सभी पहलुओं की कड़ी जांच कर रहे हैं। इससे भी कई आवेदनों को अस्वीकार किया जा रहा है।

छात्रवृत्तियों पर प्रतिबंध:
अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए दी जाने वाली कई स्कॉलरशिप्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे छात्र अमेरिका के बजाय अन्य देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

छात्रों के लिए बढ़ती मुश्किलें
अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्रों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई है। वीजा अस्वीकृति दर बढ़ने और शिक्षा खर्च में वृद्धि के कारण कई भारतीय छात्र अब अमेरिका के बजाय कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों की ओर रुख कर रहे हैं।