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Wednesday, March 19   1:18:18

सुनीता विलियम्स की 9 महीने लंबी अंतरिक्ष गाथा ; तकनीक, धैर्य और जज़्बे की मिसाल

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लौट आए हैं। उनके साथ अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी थे। उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में लैंड हुआ। यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

वापसी के दौरान आया संचार ब्लैकआउट

अंतरिक्ष यात्रा में सबसे चुनौतीपूर्ण क्षण तब आया जब स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। इस दौरान तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे लगभग 7 मिनट तक संचार पूरी तरह बाधित रहा। यह स्थिति सामान्य है और इसे कम्युनिकेशन ब्लैकआउट कहा जाता है, जहां आयनित गैसें सिग्नल ट्रांसमिशन में बाधा डालती हैं।

मिशन में 8 दिन की योजना, 9 महीने की यात्रा

सुनीता और बुच विल्मोर का यह मिशन केवल 8 दिनों का था, लेकिन थ्रस्टर में तकनीकी खराबी और हीलियम लीक के कारण यह 9 महीने तक बढ़ गया। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रुकना मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इन एस्ट्रोनॉट्स ने इस दौरान कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए।

स्पेसएक्स की भूमिका और टेक्नोलॉजी का योगदान

NASA ने इस मिशन के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का उपयोग किया। यह स्पेसक्राफ्ट अत्याधुनिक तकनीक और सेफ्टी फीचर्स से लैस है, जिसने एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। स्पेसक्राफ्ट की री-एंट्री के दौरान पैराशूट्स ने इसकी गति को नियंत्रित किया और अंततः यह सफलतापूर्वक समुद्र में लैंड कर गया।

खतरे और सुरक्षा उपाय

हालांकि इस मिशन के दौरान कई तकनीकी चुनौतियां आईं, लेकिन स्पेसएक्स और नासा की टीम ने कुशलता से उनका समाधान किया। मुख्य जोखिमों में शामिल थे:

  • थ्रस्टर फेलियर: थ्रस्टर खराबी के कारण स्पेसक्राफ्ट को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता था।
  • हीट शील्ड का फेल होना: वायुमंडल में प्रवेश के दौरान अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए हीट शील्ड की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
  • पैराशूट फेलियर: लैंडिंग के समय पैराशूट न खुलना एक गंभीर खतरा हो सकता था।

इस मिशन की सफलता यह दर्शाती है कि अंतरिक्ष विज्ञान में तकनीकी प्रगति किस स्तर तक पहुंच चुकी है। सुनीता विलियम्स और उनकी टीम ने अपने धैर्य और साहस से साबित कर दिया कि चुनौतियों का सामना करके भी सफलता पाई जा सकती है। साथ ही, इस मिशन ने भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए बहुमूल्य अनुभव प्रदान किया है।