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Monday, March 17   10:22:18

रक्षित कांड: ड्राई स्टेट में हर गली में छलकते जाम का राज़!

गुजरात, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि कहा जाता है, जहां शराबबंदी की सख्त नीति लागू है। लेकिन हालिया आँकड़े और रक्षित चौरसिया कांड यह साबित करते हैं कि यह नीति सिर्फ कागजों पर सख्त है, ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। हर चार सेकंड में जब्त हो रही एक शराब की बोतल इस बात का सबूत है कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद गुजरात में शराब और नशे का कारोबार किस हद तक फल-फूल रहा है। यही नहीं, अब यह राज्य ड्रग्स के नए हब के रूप में भी उभर रहा है।

रक्षित चौरसिया कांड: एक स्याह सच का पर्दाफाश

हाल ही में गुजरात के वडोदरा में हुए रक्षित चौरसिया हिट एंड रन कांड ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। यह महज एक सड़क दुर्घटना नहीं थी, बल्कि गुजरात में ड्रग्स और नशे की बढ़ती लत की एक दर्दनाक तस्वीर थी। पुलिस जांच में सामने आया कि रक्षित नशे की हालत में था और उसकी लापरवाही ने मासूमों की जान ले ली। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर एक ड्राई स्टेट में इतनी आसानी से नशे की चीज़ें उपलब्ध कैसे हो रही हैं?

क्या ड्राई स्टेट की आड़ में गुजरात बना ड्रग्स और शराब का गढ़?

पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने भी इस पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि गुजरात में शराबबंदी महज एक ढोंग बनकर रह गई है और युवाओं को नशे की ओर धकेल रही है।
अगर सचमुच शराबबंदी लागू होती, तो गुजरात में यह हालात नहीं होते—

2024 में हर चार सेकंड में एक शराब की बोतल जब्त हुई।
82 लाख से ज्यादा IMFL (भारतीय निर्मित विदेशी शराब) की बोतलें पकड़ी गईं।
कुल ज़ब्ती का मूल्य ₹144 करोड़ से अधिक।

शराबबंदी के बावजूद, हर जिले में शराब और ड्रग्स की खेप पहुंच रही है। वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत, नवसारी और गोधरा जैसे शहरों में ट्रकों, पानी की टंकियों, घरेलू सामान और सब्जियों के बीच छिपाकर तस्करी की जा रही है।

क्या शराबबंदी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है?

गुजरात की शराबबंदी नीति को लेकर यह भी कहा जाता है कि यह कानूनी से ज्यादा भ्रष्टाचार का खेल बन चुकी है।

  • जब पूरे देश में शराब आसानी से मिलती है, तो गुजरात में शराब की कीमतें बाजार मूल्य से कई गुना ज्यादा क्यों हैं?
  • हर बड़े शहर में शराबबंदी के बावजूद गुप्त ठिकानों पर धड़ल्ले से शराब परोसी जाती है, फिर भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है।
  • क्या प्रशासन खुद इस अवैध कारोबार में शामिल है?

गुजरात में रक्षित चौरसिया कांड ने शराब और ड्रग्स के बढ़ते खतरे को उजागर कर दिया है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह राज्य ड्रग माफिया के कब्जे में आ सकता है। शराबबंदी नीति की समीक्षा होनी चाहिए ताकि यह नीति कागजों से निकलकर ज़मीनी हकीकत में तब्दील हो सके। वरना, आने वाले दिनों में न जाने कितने रक्षित चौरसिया इसी नशे के कारण किसी मासूम की जिंदगी छीन लेंगे।

अब सवाल यह है कि गुजरात को सच में ड्राई स्टेट बनाया जाएगा या शराबबंदी की यह ढोंग नीति सिर्फ तस्करों और भ्रष्ट अफसरों की जेबें भरती रहेगी?