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Monday, March 17   10:22:22

ज़िद ,नशा और रफ़्तार का खूनी खेल; वडोदरा हिट एंड रन की पूरी कहानी

वडोदरा | वडोदरा के करेलीबाग में हुए दिल दहला देने वाले हिट एंड रन केस का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें हादसे से पहले आरोपी रक्षित के हाथ में एक बोतल नजर आ रही है। यह वीडियो इस बात की पुष्टि करता है कि रक्षित ने जिद करके ड्राइविंग सीट संभाली थी, जबकि उसका दोस्त प्रांशु पहले से कार चला रहा था।

कैसे हुआ हादसा?

यह दर्दनाक हादसा 13 मार्च की रात हुआ जब एक काली फॉक्सवैगन वर्टस कार ने बेकाबू होकर तीन गाड़ियों को टक्कर मार दी। इस हादसे में एक महिला की जान चली गई और सात अन्य लोग घायल हो गए। हादसे के वक्त रक्षित कार चला रहा था और प्रांशु उसके साथ मौजूद था। पुलिस ने रक्षित को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि प्रांशु अब भी फरार है।

सीसीटीवी फुटेज में क्या दिखा?

सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, रात करीब 10:30 बजे रक्षित अपने दोस्त सुरेश के साथ स्कूटी पर सुरेश के घर पहुंचा। फुटेज में उसके हाथ में एक बोतल नजर आई, हालांकि उसमें क्या था, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। करीब 11:15 बजे प्रांशु अपनी काली सेडान कार लेकर वहां पहुंचा। इसके बाद रक्षित और प्रांशु कार की ओर गए। शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि प्रांशु ड्राइविंग सीट पर बैठेगा, लेकिन कुछ ही देर में रक्षित ने जिद की और सीट बदलकर खुद कार चलाने लगा।

हादसे के बाद की स्थिति

हादसे के बाद की तस्वीरें भी चौंकाने वाली हैं। टक्कर इतनी भयानक थी कि कार के एयरबैग खुल गए। वीडियो में यह भी दिखा कि रक्षित और प्रांशु के बीच बहस हुई, जिसमें प्रांशु गुस्से में चिल्लाया— “हटो तुम!” और कार से बाहर निकल गया। वहीं, रक्षित ने जोर देकर कहा— “एनअदर राउंड!” यानी एक और चक्कर। लेकिन इससे पहले ही भीड़ ने उसे पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी।

शराब और ड्रग्स का कनेक्शन?

रक्षित ने दावा किया कि उसने शराब नहीं पी थी, लेकिन पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। रैपिड टेस्ट से पता चला कि होलिका दहन की रात उसने और प्रांशु ने ड्रग्स का सेवन किया था। ब्लड रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, लेकिन शुरुआती जांच में यह साफ हो चुका है कि वे नशे में थे।

किसकी थी कार?

जिस कार से यह हादसा हुआ, वह रक्षित की नहीं थी। यह कार उसके दोस्त प्रांशु चौहान के पिता के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

आरोपी की सफाई, लेकिन सवाल कायम

पुलिस पूछताछ में रक्षित ने यह भी कहा कि वह ऑटोमैटिक कार चलाना नहीं जानता था और गलती से स्पोर्ट्स मोड ऑन हो गया, जिससे कार अनियंत्रित हो गई। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर उसे कार चलानी नहीं आती थी, तो उसने जबरदस्ती ड्राइविंग सीट पर जाने की जिद क्यों की?

कब तक रफ्तार बेगुनाहों की जान लेती रहेगी?

यह मामला सिर्फ एक हादसे का नहीं, बल्कि रफ्तार, लापरवाही और नशे के खतरनाक मेल का एक और उदाहरण है। हर बार यही कहानी दोहराई जाती है— अमीर घरों के बिगड़ैल लड़के शराब, ड्रग्स और स्पीड की धुन में बेगुनाहों की जान ले लेते हैं। फिर या तो वे बच निकलते हैं या कुछ समय बाद बेल पर बाहर आ जाते हैं।

इस मामले में ये भी सवाल उठते हैं—

  1. क्या यह हादसा सिर्फ एक संयोग था या इसके पीछे लापरवाही और नशे की लत का काला सच छिपा है?
  2. क्या दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी, या फिर पैसे और रसूख के दम पर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
  3. कब तक निर्दोष लोग ऐसी घटनाओं के शिकार होते रहेंगे?

समाज को अब जागने की जरूरत है। कानून को ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाना होगा, वरना नशे और रफ्तार का यह घातक खेल यूं ही मासूमों की जिंदगी लीलता रहेगा।