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Monday, March 10   5:15:24

64 साल बाद देखने को मिलेगा होली और रमजान का अनूठा संगम

14 मार्च को एक असाधारण दिन का आगमन हो रहा है। 1961 के बाद पहली बार होली का त्योहार और रमजान का शुक्रवार एक ही दिन पड़ रहे हैं। इस दुर्लभ संयोग को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने संवेदनशील शहरों में अतिरिक्त सुरक्षा उपायों और ड्रोन निगरानी की व्यवस्था कर दी है।

घटनाक्रम की पृष्ठभूमि

64 साल बाद फिर से एक ही दिन पर होली और रमजान का मिलन हुआ है। इस दिन होली के रंगों के साथ-साथ मुसलमानों के लिए शुक्रवार की नमाज का भी विशेष महत्व है। संभल के पुलिस अधिकारी सीओ अनुज चौधरी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि “अगर किसी को रंग खेलने का मन है तो बाहर निकलें, और जो नहीं चाहेंगे वे घर पर नमाज पढ़ सकते हैं।” उनका यह बयान इस बात को उजागर करता है कि रोज़मर्रा की जुमे की नमाज में भी उतनी ही अहमियत है जितनी होली के एक दिन के रंगों में।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन बातों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके अधिकारी का यह स्पष्ट और बेबाक लहजा बिलकुल “पहलवान” है। ऐसे वक्त में, जब 2022 में कानपुर और लखनऊ में धार्मिक झड़पें देखी गई थीं, प्रशासन ने तुरंत सावधानी बरतने का आदेश दिया था, इस बार भी उन्होंने उसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।

प्रशासनिक तैयारियाँ

  • सुरक्षा बलों की तैनाती: संवेदनशील जिलों जैसे मुरादाबाद, संभल, रामपुर, मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और बरेली में अतिरिक्त पुलिस बल और रेंज व जोन प्रमुखों को सुरक्षा निर्देश जारी किए गए हैं।
  • ड्रोन निगरानी: विशेष क्षेत्रों में ड्रोन द्वारा निगरानी रखी जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की अस्थिरता को रोका जा सके।
  • सामुदायिक सौहार्द की अपील: प्रशासन ने स्थानीय नेताओं से संवाद स्थापित करते हुए, दोनों समुदायों में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की है।

ऐसा लगता है कि जब धार्मिक त्योहार का संगम हो, तो सामाजिक एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द का महत्व और भी बढ़ जाता है। प्रशासन द्वारा की गई सतर्कता व सुरक्षा उपाय वाजिब हैं, परंतु असली सुरक्षा तो आपसी विश्वास और सहयोग से ही सुनिश्चित की जा सकती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि धार्मिक उत्सव, चाहे होली के रंग हों या रमजान की आरती, हमें एक दूसरे के करीब लाने का माध्यम हैं। इस दिन को मिल-जुलकर मनाने से समाज में भाईचारे की भावना को बल मिलेगा और पुरानी खटास को मिटाने में मदद मिलेगी।

यह 64 साल बाद का दुर्लभ अवसर हमें याद दिलाता है कि धार्मिक विविधता में भी एकता की ताकत होती है। प्रशासन की कड़ी तैयारी और सभी समुदायों के प्रति समान सम्मान का संदेश हमें शांतिपूर्ण और खुशहाल समाज की ओर अग्रसर करता है। आइए, हम सब मिलकर इस दिन को उत्साह, प्रेम और सौहार्द के साथ मनाएं।