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राहुल गांधी का गुजरात दौरा: कांग्रेस में बदलाव की जरूरत, बब्बर शेरों को चेन से मुक्त करने की बात

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने हाल ही में गुजरात का दौरा किया, जहां उन्होंने प्रदेश के लगभग 2000 कार्यकर्ताओं से अहमदाबाद के जेड हॉल में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पार्टी के भीतर हो रहे विभिन्न संघर्षों और चुनौतियों के बारे में खुलकर अपनी बात रखी। राहुल ने स्वीकार किया कि गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा और पार्टी को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए गहरी रणनीतिक जरूरत है।

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस में दो प्रकार के लोग हैं: एक वो जो जनता के साथ खड़े हैं और जिनका दिल कांग्रेस की विचारधारा में रचा-बसा है, जबकि दूसरे वो हैं जो जनता से दूर हो गए हैं और कुछ लोग तो बीजेपी से मिलकर काम कर रहे हैं। राहुल ने इन दोनों समूहों के बीच की दूरी को खत्म करने की बात की और यह साफ किया कि इस बंटवारे को खत्म करना उनकी प्राथमिकता होगी। उनका मानना है कि अगर कांग्रेस को फिर से जनता का विश्वास जीतना है, तो इन ग्रुपों को अलग करना बेहद जरूरी है।

उन्होंने पार्टी की विफलताओं का जिम्मा भी लिया और कहा कि कांग्रेस पार्टी गुजरात में जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई। राहुल ने यह भी कहा कि यदि पार्टी के नेताओं में से 30-40 लोग बाहर निकालने की जरूरत पड़ी, तो वे ऐसा करेंगे। उनका यह भी मानना है कि कांग्रेस के हर नेता को दिल से कांग्रेस होना चाहिए, और संगठन में वही लोग शामिल होने चाहिए जो पार्टी की विचारधारा में विश्वास रखते हों। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “जैसे बब्बर शेर को चेन से बांध दिया जाता है, वैसे ही पार्टी के कुछ नेता अपनी सच्ची क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।”

राहुल ने एक और महत्वपूर्ण बिंदु उठाया कि कांग्रेस का उद्देश्य केवल आगामी चुनावों में जीत हासिल करना नहीं है, बल्कि उन्हें अपनी विचारधारा और मूल्यों को 50 वर्षों तक मजबूत करना है। उनका मानना है कि गांधी जी और सरदार पटेल के बताए मार्ग पर चलते हुए ही गुजरात को सही दिशा मिल सकती है।

राहुल का यह बयान कांग्रेस के भीतर बदलाव की आवश्यकता को दर्शाता है, खासकर उन नेताओं के लिए जो पार्टी की विचारधारा से परे जाकर अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं। राहुल की यह बात कहीं न कहीं पार्टी के अंदर गहरे बदलाव की ओर इशारा करती है।

गुजरात में कांग्रेस का पिछले कुछ चुनावों में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर काफी घट गया था और पार्टी केवल 17 सीटों पर सिमट गई थी। यही नहीं, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया था। इस बार, कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, फिर भी केवल एक सीट पर ही जीत हासिल कर सकी। इस पर राहुल गांधी ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी को अपनी रणनीति और नेतृत्व में सुधार करना होगा ताकि भविष्य में जनता का विश्वास वापस पाया जा सके।

 राहुल गांधी के गुजरात दौरे ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस को अपनी अंतर्निहित समस्याओं का समाधान तलाशने की आवश्यकता है। पार्टी में जो नायक हैं, उन्हें आगे लाने के बजाय कुछ नेताओं के आत्म-हित के कारण पार्टी कमजोर हो रही है। यदि कांग्रेस अपने नेतृत्व में बदलाव लाती है और पार्टी के पुराने नेताओं को सम्मान देते हुए नए चेहरों को मौका देती है, तो यह निश्चित रूप से पार्टी के लिए बेहतर होगा। राहुल गांधी के इन बयानों से यह उम्मीद की जा सकती है कि वे पार्टी को फिर से मजबूत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

राहुल गांधी ने गुजरात दौरे के दौरान कांग्रेस के वर्तमान संकट को स्वीकार किया और पार्टी में सुधार की जरूरत पर जोर दिया। उनका यह बयान पार्टी के भीतर बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है, यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए।