Today is World Hearing Day: मोबाइल में ईयरफोन का इस्तेमाल हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया है। लेकिन, ईयरफोन का अधिक उपयोग बहरापन को न्योता दे रहा है। पहले केवल बुजुर्गों में ही बहरापन देखने को मिलता था, लेकिन अब ईयरफोन के अत्यधिक उपयोग के कारण बच्चों में भी बहरापन की समस्या बढ़ रही है। आज ‘विश्व श्रवण दिवस’ के मौके पर बहरापन की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
डॉक्टरों के अनुसार, सुनने की प्रक्रिया में कान की तंतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये तंतु सामान्य हैं या इनमें कोई दिक्कत है, इसका पता जांच से चलता है।
- 60 डेसिबल तक का स्तर सुनने के लिए सुरक्षित माना जाता है।
- जैसे-जैसे यह सीमा बढ़ती है, समस्या भी गंभीर होती जाती है।
- बहरापन को लेकर आज भी हमारे समाज में एक प्रकार से अनदेखी की जाती है।
जागरूकता की कमी के कारण बहरापन डिप्रेशन और अकेलेपन जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
- कई बच्चों का विकास भी बहरापन की समस्या को नजरअंदाज करने से रुक जाता है।
- यदि सुनने में थोड़ी भी परेशानी हो, तो ENT विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
- जैसे नजर कमजोर होने पर हम चश्मा पहनते हैं, वैसे ही सुनने में दिक्कत होने पर हियरिंग एड्स जैसे विकल्प मौजूद हैं।
जन्मजात बहरापन और सरकारी प्रयास
जन्मजात बहरापन के कारण बच्चों का विकास सीमित होता जाता है।
- सरकार द्वारा मुफ्त कॉक्लियर इम्प्लांट की सुविधा दी जाती है ताकि हर बच्चा अच्छी तरह सुन और बोल सके।
- बच्चे के 18 साल तक होने तक यह सुविधा निःशुल्क होती है।
सोला सिविल अस्पताल के ENT विभाग की प्रमुख डॉ. नीना भूलडिया के अनुसार:
- साल 2024 में सोला ऑडियोलॉज कॉलेज में 4079 स्पीच थैरेपी सत्र बच्चों के लिए आयोजित किए गए।
- इस वर्ष 1900 से अधिक लोगों में बहरापन का निदान किया गया।
- वयस्कों में बहरापन आगे चलकर डिप्रेशन का कारण भी बन सकता है।
85 डेसिबल से अधिक आवाज का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार:
- 60 डेसिबल तक की आवाज कान के लिए सुरक्षित है।
- 85 डेसिबल या उससे अधिक की आवाज लगातार सुनने से आंशिक या स्थायी बहरापन का खतरा रहता है।
- ईयरफोन का लगातार इस्तेमाल बहरापन का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है।
- 30 मिनट से अधिक समय तक ईयरफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
विश्व श्रवण दिवस के मौके पर जरूरत है कि हम कान और सुनने की क्षमता का खास ध्यान रखें और समय पर जांच कराएं।
इस विषय में जागरूकता फैलाना और सावधानी बरतना ही समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका है।
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