न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने जमा मस्जिद संभल की प्रबंधन कमेटी की ओर से सिविल पुनःनिरक्षण में दाखिल त्वरित सुनवाई की अर्जी पर उक्त आदेश दिया
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा संभल जामा मस्जिद की रंगा पुताई की जरूरत है या नहीं इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिकारियों के साथ निरीक्षण करें एवं रिपोर्ट पेश करे जिसके पश्चात ही हाईकोर्ट इस स्थिति पर अपना अंतिम निर्णय देगा”
हालांकि संभल की जामा मस्जिद उत्तर प्रदेश के संभल शहर में स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसका निर्माण मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान हुआ था। यह मस्जिद बाबर द्वारा निर्मित तीन प्रमुख मस्जिदों में से एक है; अन्य दो पानीपत और अयोध्या में स्थित थीं, जिनमें से अयोध्या वाली मस्जिद अब ध्वस्त हो चुकी है। मस्जिद की स्थापत्य शैली उस समय के विकसित हो रहे मुगल डिज़ाइन को दर्शाती है, जिसमें एक बड़ा चौकोर हॉल और बीच में एक गुंबद शामिल है। मस्जिद के अंदर फारसी शिलालेख इसकी मुगल उत्पत्ति की पुष्टि करते हैं।
हाल ही में, संभल की जामा मस्जिद को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद पहले हरिहर मंदिर थी, जिसे 1529 में बाबर द्वारा तोड़ा गया और मस्जिद में परिवर्तित किया गया। इस दावे के समर्थन में 1879 की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जा रहा है, जिसमें मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिर के अवशेषों का उल्लेख है। इस विवाद के चलते स्थानीय अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव और हिंसा की घटनाएं भी हुईं।
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