गुजरात में पिछले कुछ समय से स्मार्ट मीटर को लेकर काफी विवाद हो रहा था। लोग प्री-पेड रिचार्ज सिस्टम की वजह से स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे थे। इस बीच, विधानसभा में कांग्रेस विधायक किरिट पटेल ने प्री-पेड स्मार्ट मीटर को लेकर सरकार से सवाल किया। इस पर ऊर्जा मंत्री कनु देसाई ने जवाब देते हुए कहा कि “फिलहाल उपयोग में लिए जा रहे मीटर और स्मार्ट मीटर की कार्यप्रणाली समान है, इसलिए उपभोक्ताओं को सभी जानकारियां मोबाइल पर प्राप्त हो सकेंगी।”
राज्य के ऊर्जा मंत्री कनु देसाई ने स्पष्ट किया कि “प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगवाना अनिवार्य है और इसके कई लाभ हैं।” स्मार्ट मीटर की मदद से उपभोक्ताओं को बिजली खपत की जानकारी मोबाइल पर तुरंत मिल सकेगी। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को मीटर रीडिंग के लिए किसी कर्मचारी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।
ऊर्जा विभाग के अनुसार, पारंपरिक मीटर में मैन्युअल रीडिंग लेनी पड़ती है, लेकिन स्मार्ट मीटर खपत डेटा को स्वचालित रूप से एकत्र करता है और बिजली वितरण कंपनियों को भेजता है। स्मार्ट मीटर में उपभोक्ताओं के बिजली खपत से जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है, जिसे मोबाइल ऐप के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है।
स्मार्ट मीटर के क्या हैं फायदे?
स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए कई उपयोगी सुविधाएं प्रदान करता है, जैसे कि—
– एडवांस मीटरिंग सिस्टम: स्मार्ट मीटर उपभोक्ता के मोबाइल एप्लिकेशन और बिजली वितरण कंपनी से सीधे जुड़ा होता है।
– रियल-टाइम डेटा: उपभोक्ता अपनी बिजली खपत की जानकारी मोबाइल पर रियल-टाइम में प्राप्त कर सकते हैं। – बिजली कंपनियों को भी फायदा: बिजली कंपनियां क्षेत्रवार बिजली मांग को आसानी से समझ सकती हैं और आपूर्ति का बेहतर प्रबंधन कर सकती हैं।
आगे क्या होगा?
सरकार की योजना के अनुसार, गुजरात के सभी बिजली उपभोक्ताओं को अनिवार्य रूप से स्मार्ट मीटर लगवाने होंगे। सरकार ने इस योजना को बिजली उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद बताया है, लेकिन इसे लेकर कुछ लोगों में अभी भी असंतोष है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि उपभोक्ता इसे कितनी सहजता से अपनाते हैं।
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