भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण तेजी से बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के लिए एक लोकप्रिय स्थान बन रहा है। फिल्म प्रोजेक्ट्स की बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर, दिल्ली और लखनऊ जैसे पारंपरिक शूटिंग स्थलों से हटकर अब फिल्म निर्माता असम, नागालैंड, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के अनदेखे लेकिन मनमोहक लोकेशनों की ओर रुख कर रहे हैं।
असम स्थित लाइन प्रोड्यूसर जेम्स हेंड्रिक ने पूर्वोत्तर में फिल्मों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उच्च अधिकारियों के साथ उनके अच्छे संबंधों ने कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ (2025) और ‘द फैमिली मैन’ के तीसरे सीजन जैसे बड़े बॉलीवुड और स्ट्रीमिंग प्रोजेक्ट्स को इस क्षेत्र में शूटिंग की अनुमति दिलाने में मदद की।
पहले भी पूर्वोत्तर को बॉलीवुड फिल्मों में एक सुंदर पृष्ठभूमि के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन हाल के प्रोजेक्ट्स में इस क्षेत्र के परिदृश्य, लोगों और संस्कृति को कथानक में शामिल किया जा रहा है। ‘पाताल लोक’ के आगामी सीजन की कहानी इसका बेहतरीन उदाहरण है। गुवाहाटी के मूल निवासी, निर्माता सुदीप शर्मा, इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि और अनदेखी कहानियों से प्रभावित हुए। उनके अनुसार, इस क्षेत्र को केवल उसकी दृश्य अपील के लिए नहीं, बल्कि उसकी वास्तविक पहचान के लिए प्रस्तुत करना जरूरी है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी इस बदलाव का समर्थन कर रहे हैं। विविध और स्थानीय मूल की कहानियों को प्राथमिकता दी जा रही है। सिक्किम में शूट हुई ‘द लास्ट आवर’ ने पूर्वोत्तर भारत के सही प्रतिनिधित्व को दर्शाया और इसकी संस्कृति व लोगों को वास्तविक तरीके से प्रस्तुत किया।
पूर्वोत्तर में बॉलीवुड की बढ़ती दिलचस्पी के पीछे एक प्रमुख कारण इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार है। पहले आतंकवाद के कारण फिल्म निर्माता इस क्षेत्र से दूरी बनाए रखते थे, लेकिन अब इसे सुरक्षित और फिल्म निर्माण के लिए अनुकूल माना जा रहा है।
हाल ही में, असम सरकार ने फिल्म शूटिंग को सुगम बनाने के लिए ‘सिंगल विंडो सिस्टम’ सहित कई बड़े कदम उठाए हैं। राज्य सरकार का ध्यान इस क्षेत्र को और अधिक सुलभ बनाने पर है, जिसमें आधुनिक सड़क नेटवर्क और ब्रह्मपुत्र नदी पर बने कई पुलों का योगदान है। असम के सिलचर, धुबरी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर और लखीमपुर जैसे हवाई अड्डों के चलते कनेक्टिविटी भी मजबूत हुई है।
एक्शन फिल्मों के लिए पूर्वोत्तर के कुछ लोकेशन्स हॉटस्पॉट साबित हो रहे हैं। भारतीय सेना के चौथे कोर और वायुसेना के मुख्यालय तेजपुर ने ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण अभिनीत ‘फाइटर’ और ‘जानबाज़’ जैसी हाई-प्रोफाइल फिल्मों की शूटिंग को अंजाम दिया। कठिन भौगोलिक स्थिति और सैन्य उपस्थिति के कारण यह स्थान एक्शन-थ्रिलर और युद्ध-प्रधान फिल्मों के लिए आदर्श बन रहा है।
फिल्म क्रू के आगमन से स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं। सुरक्षा कर्मियों से लेकर आर्ट प्रोडक्शन में सेवाएं देने वाले बढ़ई, पेंटर और सेट डिज़ाइनर्स तक, कई पूर्वोत्तरवासियों को फिल्म उद्योग में काम मिलने लगा है। स्थानीय प्रतिभाओं की बढ़ती मांग ने प्रोडक्शन हाउसेज़ को मुंबई स्थित क्रू पर निर्भरता कम कर, स्थानीय कुशल श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया है।
लेखक, शोधकर्ता और फिल्म निर्माता अनुंगला ज़ो लोंगकुमेर इस बात का बेहतरीन उदाहरण हैं कि स्थानीय प्रतिभाएं मुख्यधारा की फिल्मों में कैसे शामिल हो रही हैं। ‘पाताल लोक’ में सहायक शोधकर्ता, अनुवादक और संवाद सलाहकार के रूप में उन्होंने पटकथा में सांस्कृतिक सटीकता बनाए रखी और कलाकारों को नागामी भाषा की ट्रेनिंग भी दी। उन्होंने सेट और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उनका मानना है कि बाहरी लोग अक्सर नॉर्थ-ईस्ट के बारे में पूर्वधारणाएं रखते हैं, लेकिन सुदीप शर्मा ने नागालैंड को एक ऐसा स्थान दिखाया है जहां असली लोग असली मुद्दों का सामना कर रहे हैं।
बॉलीवुड की पूर्वोत्तर में रुचि केवल इसकी अनूठी अपील और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके रणनीतिक कारण भी हैं। मुख्यधारा के भारतीय सिनेमा में बढ़ती राजनीतिक और ऐतिहासिक संवेदनशीलता के चलते, कम चर्चित क्षेत्रों में फिल्में बनाने से विवादों से बचा जा सकता है। पूर्वोत्तर में शूट हुए प्रोजेक्ट्स राजनीतिक प्रतिक्रिया से बचने के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
फिल्म शूटिंग के लिए स्थानीय समुदायों का सहयोग भी एक बड़ा लाभ है। मेट्रो शहरों में जहां भीड़ नियंत्रित करना मुश्किल होता है, वहीं पूर्वोत्तर में कम जनसंख्या घनत्व के कारण शूटिंग आसानी से संपन्न होती है। जेम्स हेंड्रिक के अनुसार, यहां के लोग ज्यादा सहायक होते हैं और शूटिंग के दौरान पूरा सहयोग देते हैं।
हाल ही में ‘द फैमिली मैन 3’ के लिए शूटिंग कर रही अभिनेत्री गुल पनाग का मानना है कि पूर्वोत्तर में बॉलीवुड की बढ़ती रुचि, समावेशिता को बढ़ावा देने का परिणाम है। हाल ही में नागालैंड में दो बड़े प्रोजेक्ट्स की शूटिंग से यह स्पष्ट हो गया है कि इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाना प्राथमिकता बन चुका है।
पूर्वोत्तर के वितरक मुंबई स्थित निर्माताओं को लगातार नए लोकेशन्स दिखा रहे हैं, और हर साल यहां दो से तीन हिंदी प्रोजेक्ट बन रहे हैं। अभी तो यह क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता की खोज की शुरुआती अवस्था में है, लेकिन जल्द ही यह भारतीय सिनेमा के लिए एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। इसकी लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सहयोगी प्रशासन इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।
बॉलीवुड में पूर्वोत्तर की बढ़ती मौजूदगी भारतीय सिनेमा में बड़े बदलाव का संकेत है। यह क्षेत्र अब केवल एक सुंदर पृष्ठभूमि नहीं, बल्कि इसकी परंपराएं, लोग और समकालीन संघर्ष भी कथानक का हिस्सा बन रहे हैं। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्थानीय प्रतिभाओं की पहचान और सरकारी सहयोग के साथ, पूर्वोत्तर भारत बॉलीवुड का अगला बड़ा डेस्टिनेशन बनने की ओर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे फिल्म निर्माता इस नए क्षेत्र की खोज कर रहे हैं, दर्शक भी इसकी विविधता और जीवनशैली को देखने के लिए उत्साहित रहेंगे।
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