दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में हालिया घटनाओं ने सभी का ध्यान खींचा है। आम आदमी पार्टी (आप) की हार के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने 9 फरवरी को उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर 4 महीने और 19 दिन का कार्यकाल पूरा किया। लेकिन इस्तीफे के दौरान एलजी द्वारा की गई टिप्पणी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
यमुना प्रोजेक्ट बना विवाद की जड़
सूत्रों के अनुसार, एलजी ने आतिशी से कहा कि उन्हें और उनकी पार्टी को यमुना मैया का श्राप लगा है, क्योंकि उनके नेता अरविंद केजरीवाल ने यमुना सफाई प्रोजेक्ट को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। एलजी का मानना था कि इस परियोजना के रुकने से जनता में नकारात्मक संदेश गया और पर्यावरणीय मुद्दों पर सरकार की उदासीनता उजागर हुई।
इस विवाद की शुरुआत जनवरी 2023 में हुई थी, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एलजी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। हालांकि, केजरीवाल सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि किसी डोमेन एक्सपर्ट को पैनल का नेतृत्व करना चाहिए। अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी, जो अब तक जारी है।
हार के बाद आतिशी का जश्न और शिवसेना का समर्थन
चुनाव परिणाम के बाद आतिशी का एक वीडियो सामने आया जिसमें वह अपने समर्थकों के साथ जश्न मना रही थीं। भाजपा ने इसे निशाने पर लिया, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उनका समर्थन किया। चतुर्वेदी ने कहा कि चुनाव एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है, जिसमें उम्मीदवार और कार्यकर्ता बहुत मेहनत करते हैं। आतिशी ने रमेश बिधूड़ी जैसे कड़े प्रतिद्वंद्वी के साथ मुकाबला किया था, इसलिए उनके जश्न को गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए।
गठबंधन की राजनीति बनी भाजपा की जीत का कारण?
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि यदि ये दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़तीं तो शायद भाजपा को इतनी बड़ी जीत नहीं मिलती। राउत ने कांग्रेस को गठबंधन की राजनीति में एक ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाने की सलाह दी और कहा कि अहंकार से बचकर सभी दलों को साथ लाना जरूरी है।
भाजपा के सीएम चेहरे पर अटकलें
इस बीच भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि पार्टी के सभी 48 विधायक समान हैं और उनमें से कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है। हालांकि, अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान करेगा।
दिल्ली के चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया है कि जनता अब पारदर्शिता, विकास और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही चाहती है। यमुना सफाई प्रोजेक्ट को लेकर सरकार का रवैया और अदालत में उसकी चुनौती ने उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, आप और कांग्रेस का अलग-अलग चुनाव लड़ना भी भाजपा की जीत का एक प्रमुख कारण बना।
आने वाले समय में विपक्षी दलों को यह समझना होगा कि साझा मुद्दों पर एकजुट होना ही उनकी सफलता की कुंजी है। साथ ही, सरकार को पर्यावरण और विकास से जुड़े मुद्दों पर अधिक गंभीरता से काम करने की जरूरत है। केवल जश्न मनाने से जनता का भरोसा वापस नहीं जीता जा सकता, बल्कि ठोस काम करना होगा।
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