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Saturday, February 8   12:02:31

दिल्ली में झाड़ू का सूपड़ा साफ: कांग्रेस ने बिगाड़ा आप का खेल? जानें हार के 5 प्रमुख कारण

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद सरकार बनाई है। वहीं, आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले बेहद कमजोर रहा। 2015 में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 2020 में घटकर 62 रह गई। इस बार बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए APP को सत्ता से बाहर कर दिया। आम आदमी पार्टी की इस हार के पीछे कई अहम कारण जिम्मेदार रहे हैं। आइए जानते हैं इन 5 प्रमुख कारणों के बारे में।

1. विपक्षी आरोपों का असर

विपक्षी पार्टियों ने आप पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाया और पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए। महिलाओं और युवा मतदाताओं ने इस बार आप का साथ नहीं दिया, जिसके चलते पार्टी हाशिये पर चली गई।

2. नेतृत्व में अस्थिरता

केजरीवाल की गिरफ्तारी और बाद में उनके इस्तीफे ने पार्टी नेतृत्व में अस्थिरता पैदा कर दी। आतिशी को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने के बावजूद यह बदलाव पार्टी के लिए चुनौती साबित हुआ। केजरीवाल की विश्वसनीयता में गिरावट पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुई।

3. कांग्रेस ने काटे वोट

कांग्रेस भले ही मुश्किल से एक सीट जीत पाई हो, लेकिन उसने आम आदमी पार्टी के वोट काटने का काम जरूर किया। यह स्थिति वैसी ही रही जैसे हरियाणा में आप ने कांग्रेस के साथ किया था। 2013 के बाद से कांग्रेस का वोट बैंक आप की ओर शिफ्ट हो गया था, लेकिन कांग्रेस की इस वापसी ने आप को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, 2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटों पर हार और पंजाब में सिर्फ तीन सीटों पर जीत ने मतदाताओं के विश्वास को कमजोर किया।

4. आंतरिक कलह

पार्टी के भीतर आंतरिक कलह और शीर्ष नेताओं जैसे कैलाश गहलोत और राजकुमार आनंद के इस्तीफे ने संगठनात्मक कमजोरी को उजागर किया।

5. भ्रष्टाचार के आरोप और कानूनी समस्याएं

आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं, खासकर अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और उनकी गिरफ्तारियों ने पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया। पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी छवि कमजोर हो गई। इसके अलावा, केजरीवाल सरकार ने यमुना नदी की सफाई, दिल्ली की सड़कों को पेरिस जैसा बनाने और शुद्ध पानी उपलब्ध कराने जैसे बड़े वादे किए थे, जो पूरे नहीं हुए।

आम आदमी पार्टी के लिए यह हार सिर्फ सत्ता का नुकसान नहीं है, बल्कि यह पार्टी के राजनीतिक भविष्य के लिए भी बड़ा सबक है।