हाल ही में अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जिससे उनके परिवारों पर आर्थिक संकट गहरा गया है। ग़ैरक़ानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचे भारतीयों का पहला जत्था अमृतसर में उतरा, जिसमें 104 भारतीय नागरिक शामिल थे। इनमें से 37 गुजरात, 33 हरियाणा और 30 पंजाब के निवासी थे।
बहुत से युवा अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के सपने के साथ अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे थे। उन्होंने घर और ज़मीन बेचकर या गिरवी रखकर लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन अमेरिकी प्रशासन की सख़्त इमिग्रेशन नीति के चलते उन्हें वापस भेज दिया गया।
हरियाणा के करनाल निवासी 26 वर्षीय आकाश ने 73 लाख रुपये खर्च कर 26 जनवरी को अमेरिका में प्रवेश किया था, लेकिन मात्र 10 दिनों में उसे वापस भेज दिया गया। उसके परिवार ने ज़मीन बेचकर यह रकम जुटाई थी, यह सोचकर कि अमेरिका में कमाई कर वह परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार सकेगा। लेकिन उसकी यह कोशिश असफल रही।
लाखों रुपये खर्च, फिर भी खाली हाथ वापसी
आकाश का भाई शुभम भी अमेरिका पहुंचने की कोशिश में था। उसने भी डंकी रूट के ज़रिए 73 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन उसे अमेरिका पहुंचने में 10 महीने लग गए। एजेंट से 65 लाख रुपये की डील हुई थी, लेकिन बाद में 8 लाख रुपये और वसूले गए।
इसी तरह, हरियाणा के घरौंडा के रहने वाले 24 वर्षीय अरुण पाल ने 45 लाख रुपये खर्च कर अमेरिका जाने का सपना देखा था। उसने अपनी आधे एकड़ ज़मीन बेचकर 25 जनवरी को अमेरिका प्रवेश किया, लेकिन उसे भी वापस भेज दिया गया। उसके पिता मज़दूरी करते हैं और भाई एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। परिवार को उम्मीद थी कि अरुण की कमाई से आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, लेकिन यह सपना चकनाचूर हो गया।
परिवार समेत अमेरिका पहुंचे, लेकिन वापस भेजे गए
नीलोहखेड़ी के 45 वर्षीय परमजीत सिंह ने अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ अमेरिका में बसने की योजना बनाई थी। उनके पास 12 एकड़ ज़मीन थी और उनकी बेटी पहले से अमेरिका में स्टूडेंट वीज़ा पर थी। लेकिन पूरे परिवार को अमेरिका में स्थायी रूप से बसाने के लिए उन्होंने अपना मकान और प्लॉट बेच दिया। 19 जनवरी को वे अमेरिका पहुंचे, लेकिन वहां की पुलिस ने गिरफ्तार कर डिपोर्ट कर दिया।
अमेरिका की सख्त इमिग्रेशन नीति से सपने टूटे
इन घटनाओं से साफ़ है कि अवैध रूप से अमेरिका जाने वाले लोगों को अब भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी प्रशासन की सख़्त नीति के कारण अब डंकी रूट से अमेरिका जाना जोखिम भरा हो गया है। जो लोग लाखों रुपये खर्च कर इस सफर पर निकले थे, वे न केवल खाली हाथ लौटे हैं बल्कि उनके परिवार भी भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
अब ज़रूरत इस बात की है कि लोग सुरक्षित और वैध तरीकों से विदेश जाने की योजना बनाएं जिससे इस तरह के संकट से बचा जा सके। सरकार को भी इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और अवैध इमिग्रेशन रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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