प्रधानमंत्री का आगमन एक सुनियोजित और सुव्यवस्थित प्रक्रिया थी। वे बमरौली एयरपोर्ट पर पहुंचे, जहां उनका स्वागत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य अधिकारियों ने किया। इसके बाद हेलिकॉप्टर से वे अरैल के VIP घाट पहुंचे, और वहां से उनका काफिला बोट से संगम के लिए रवाना हुआ। रास्ते में उन्होंने हाथ हिलाकर श्रद्धालुओं का अभिवादन किया और उनकी श्रद्धा का सम्मान किया।
प्रधानमंत्री मोदी का संगम में स्नान करना न केवल एक धार्मिक कार्य था, बल्कि यह देशवासियों के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव भी दर्शाता है। वे जहां स्नान कर रहे थे, वहां श्रद्धालुओं से दूरी बनाए रखने की कोशिश की गई, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री को घेरे में सुरक्षा कर्मी तैनात थे।
प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए थे। पूरे क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे और जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए थे। साथ ही, संगम क्षेत्र में कैमरे से निगरानी रखी जा रही थी, ताकि भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित किया जा सके और कोई अप्रिय घटना न हो।
यह मोदी का महाकुंभ में दूसरा दौरा था, इससे पहले वे दिसंबर 2024 में भी यहां आए थे। उनका यह दौरा धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लाखों भक्तों से जुड़ने का एक तरीका है। हालांकि, पिछले कुछ समय में कुछ विवाद भी रहे हैं, जैसे कि मकर संक्रांति के दौरान हुई भगदड़, जिसमें कई लोग घायल हुए और कुछ की मौत भी हुई। इस पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा उपायों में सुधार की बात की है।
महाकुंभ जैसा विशाल आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां सुरक्षा और जनसुविधाओं का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। मोदी सरकार ने इस दिशा में कड़े सुरक्षा उपाय किए हैं, लेकिन भविष्य में इन आयोजनों के लिए और बेहतर संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके। महाकुंभ का महत्व केवल राजनैतिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि यह लाखों भारतीयों की धार्मिक भावना से भी जुड़ा हुआ है, और इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति इसे और भी खास बना देती है।
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