मौनी अमावस्या की रात महाकुंभ में हुई भगदड़ ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन ने इस हादसे में 30 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि यदि सिर्फ पांच शवों की पहचान नहीं हो पाई थी, तो फिर पोस्टमार्टम हाउस में 24 मृतकों की तस्वीरें क्यों जारी की गईं?
इस दर्दनाक हादसे के बाद कई परिवार अपने लापता परिजनों की तलाश में भटक रहे हैं। प्रयागराज की रहने वाली अनुराधा देवी भी उन्हीं में से एक हैं। वे पिछले तीन दिनों से अपनी मां को खोज रही हैं। अपने बेटे के साथ सरकारी सहायता केंद्रों से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
72 घंटे बाद भी कई लोग लापता
हादसे के बाद प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन उन लोगों का क्या, जो अब भी लापता हैं? अनुराधा जैसी कई महिलाएं और परिवारजन अपने प्रियजनों को ढूंढने में लगे हैं। बिहार, बंगाल और यूपी से आए श्रद्धालु अब भी अपने परिजनों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।
प्रशासन के आंकड़ों पर सवाल
अब दो बड़े सवाल खड़े होते हैं:
जो लोग 72 घंटे बाद भी नहीं मिले, वे आखिर गए कहां?
अगर सिर्फ पांच शवों की पहचान बाकी थी, तो फिर पोस्टमार्टम हाउस के बाहर 24 शवों की तस्वीरें क्यों लगाई गईं?
प्रशासन ने दावा किया था कि मृतकों की पहचान कर उनके परिवारों को सूचना दी जा चुकी है। लेकिन जब 30 में से 25 शवों की पहचान हो गई थी, तो 24 तस्वीरों का क्या मतलब है? प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
मृतकों की संख्या को लेकर उठते सवाल
भगदड़ जैसी किसी भी दुर्घटना के बाद मृतकों और घायलों की सूची जारी की जाती है, लेकिन महाकुंभ में तीन दिन बाद भी यह सूची पूरी तरह सार्वजनिक नहीं की गई। विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं।
महाकुंभ में गुमशुदा लोगों के लिए प्रशासन ने 10 ‘खोया-पाया’ केंद्र बनाए हैं, जहां से रोज़ कई लोग अपने परिवार से मिल रहे हैं। लेकिन कुछ ऐसे वृद्ध लोग भी हैं, जो अपना पता या मोबाइल नंबर ठीक से नहीं बता पा रहे हैं, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो गई है।
क्या प्रशासन ने एक और भगदड़ की जानकारी छिपाई?
एक और विवादास्पद सवाल यह भी है कि क्या महाकुंभ में एक और भगदड़ हुई थी, जिसे प्रशासन ने छिपाने की कोशिश की? सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि संगम क्षेत्र में भगदड़ के बाद एक और भगदड़ जैसी स्थिति बनी थी, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी।
प्रयागराज महाकुंभ क्षेत्र के डीआईजी वैभव कृष्णा का कहना है कि पुलिस को दूसरी भगदड़ की कोई सूचना नहीं मिली थी, लेकिन अब मामले की जांच करवाई जाएगी।
महाकुंभ में हुई भगदड़ न सिर्फ एक त्रासदी थी, बल्कि इससे जुड़े प्रशासनिक दावों पर भी सवाल उठ रहे हैं। अभी तक कई परिवार अपने प्रियजनों को ढूंढ रहे हैं, मृतकों की संख्या पर संशय बना हुआ है और दूसरी भगदड़ के वीडियो ने नई बहस छेड़ दी है। प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इन सवालों के जवाब दे, ताकि श्रद्धालुओं का विश्वास बना रहे।
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