20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चंद्रमा की सतह पर पहला कदम रखा और कहा, “यह एक इंसान का छोटा कदम है, लेकिन इंसानियत की बड़ी छलांग!” इस ऐतिहासिक घटना ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत कर दी। लेकिन कुछ साल पहले, भारत में 1960 के दशक की शुरुआत में, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शून्य से आगे बढ़ने के प्रयास में था। केरल के एक छोटे से गाँव में, एक वैज्ञानिक साइकिल पर एक छोटे से रॉकेट का हिस्सा लादकर ले जा रहा था। फिर यह साइकिल एक बैलगाड़ी में तब्दील हुई, और तमाम जुगाड़ के बीच, भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम धीरे-धीरे आकार लेने लगा। पैसा और संसाधनों की कमी थी, लेकिन संकल्प अटूट था।
तिरुअनंतपुरम के बाहरी इलाके थुम्बा से पहला रॉकेट लॉन्च किया गया। यह भारत के अंतरिक्ष युग की आधिकारिक शुरुआत थी। इस छोटे से लॉन्च पैड ने आने वाले दशकों में इतिहास रचने वाले मिशनों को जन्म दिया।
2025: भारत का ऐतिहासिक 100वां मिशन
29 जनवरी 2025 को, इसरो ने श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर अपना 100वां मिशन पूरा किया। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक सफर की अभूतपूर्व उपलब्धि है।
इसरो: आत्मनिर्भरता और नवाचार का प्रतीक
1975: भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च हुआ।
2008: चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज कर दुनिया को चौंका दिया।
2014: मंगलयान के जरिए भारत पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुँचने वाला पहला देश बना।
2023: चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया।
आगे क्या?
भारत अब गगनयान मिशन की ओर बढ़ रहा है, जो 2025 के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य रखता है। इसके अलावा, सूर्य मिशन आदित्य L1, और चंद्रयान-4 जैसी परियोजनाएँ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।
क्या आप इस गौरवशाली यात्रा का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहे हैं? इस प्रेरणादायक कहानी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएँ और अपने देश की उपलब्धियों पर गर्व करें
More Stories
राजकोट में 11 वर्षीय बच्चे की कार्डिएट अटैक से मौत ,अचानक सीने में उठा था तेज दर्द
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में BJP की जीत, हरप्रीत कौर बबला बनीं मेयर
‘राजनीति ही करनी है तो चुनाव लड़ लो…’ चुनाव आयुक्त पर केजरीवाल का बड़ा प्रहार