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Thursday, January 30   11:43:29

मौनी अमावस्या से एक दिन पहले महाकुंभ में 1 करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़, संगम से 15 किलोमीटर तक जाम

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का आज 16वां दिन है, और मौनी अमावस्या के स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बेतहाशा बढ़ गई है। आज सुबह 11 बजे तक 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगा ली है। 13 जनवरी से अब तक करीब 16 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। इस विशाल जनसमूह को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था की चुनौतियां भी लगातार बढ़ रही हैं, जिसके कारण रातभर अफसरों की बैठकें होती रहीं और भीड़ प्रबंधन के उपायों पर विचार किया गया।

ADG, DM, CRPF, ITBP और पुलिस विभाग के अधिकारियों ने आपात बैठक बुलाकर स्थिति पर चर्चा की और हाई अलर्ट जारी कर दिया। इसके बावजूद सड़कों और गलियों में जबरदस्त भीड़ जमा हो गई है। श्रद्धालुओं को पार्किंग और रेलवे स्टेशन से संगम तक पैदल आना पड़ रहा है, जबकि कई स्थानों पर बैरिकेडिंग को तोड़ने की घटनाएं भी हुई हैं। संगम से 15 किलोमीटर तक का इलाका जाम से भरा हुआ है, और लोग घंटों जाम में फंसे हुए हैं।

इतनी बड़ी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एआई कैमरों से निगरानी रखने का फैसला किया है। साथ ही DM ने प्रयागराज के निवासियों से अपील की है कि वे अपनी कारों से कुंभ मेला क्षेत्र में न आएं। अगर संभव हो तो पैदल या बाइक से आएं, ताकि आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को जाम से बचाया जा सके।

हालांकि, इस विशाल धार्मिक आयोजन में कुछ समस्याएं भी देखने को मिलीं। जैसे कि ट्रेनों में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं, जिनसे यात्रियों को काफी परेशानी हुई। इसके बावजूद, महाकुंभ में शामिल होने वाले मंत्री, संत और श्रद्धालु इस धार्मिक अवसर का लाभ उठा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संगम में स्नान किया और अक्षयवट के दर्शन किए, जबकि कई अन्य प्रमुख व्यक्ति भी इस धार्मिक आयोजन में शामिल हुए।

महाकुंभ का आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक बड़ा आयोजन होने के कारण प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन जाता है। भविष्य में इस तरह के आयोजनों के दौरान बेहतर योजना और बुनियादी ढांचे की जरूरत महसूस होती है, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिल सके और सुरक्षा की दृष्टि से कोई बड़ी समस्या न उत्पन्न हो।

महाकुंभ जैसा विशाल आयोजन निश्चित रूप से समाज की धार्मिक एकता और आस्था का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ ही इसमें आने वाली चुनौतियों को ठीक से संभालना प्रशासन की जिम्मेदारी है, ताकि हर श्रद्धालु को एक सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव मिल सके।