कॉलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बर्बर बलात्कार और हत्या के मामले में आज सियालदह कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है। यह फैसला 162 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद आया है। इस मामले में सीबीआई ने संजय रॉय को फांसी की सजा की मांग की है, और कोर्ट ने सोमवार को सजा सुनाने का ऐलान किया है।
यह दिल दहला देने वाली घटना 9 अगस्त 2024 की रात की है, जब कॉलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना घटी थी। 9 अगस्त की सुबह मृतिका का शव अस्पताल में पाया गया था। पुलिस ने 10 अगस्त को आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन और आक्रोश फैल गया था।
इस मामले की जांच शुरू में राज्य पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर 13 अगस्त 2024 को इसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया। सीबीआई ने मामले की गहन जांच की और 7 अक्टूबर 2024 को आरोपी संजय रॉय के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में गैंगरेप नहीं हुआ था, बल्कि आरोपी अकेले ही दोषी था।
जांच में सामने आया कि आरोपी संजय रॉय, जो एक सिविक वालंटियर था, 9 अगस्त को अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में सुबह 4:03 बजे वार्ड में दाखिल होते हुए दिखा था। सीबीआई ने संजय का पोलिग्राफ टेस्ट भी करवाया था, जिसमें वह लगातार दोषी पाया गया। फोरेंसिक रिपोर्ट्स में भी संजय रॉय के शरीर से मिले सैम्पल्स और पिड़िता के शरीर से मिले सैम्पल्स का मेल मिला था, जिससे आरोपी की गुनाह में संलिप्तता साबित होती है।
हालांकि, मामले में कुछ विवाद भी सामने आए हैं। पिड़िता के पिता ने आरोप लगाया था कि सीबीआई ने उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी और कुछ जांचें सही से नहीं की गईं। उनका कहना था कि उनकी बेटी के गले पर चोट के निशान थे, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनका सही उल्लेख नहीं किया गया। इसके अलावा, सीबीआई ने कहा कि इस मामले में कोई सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ था और यह अकेले संजय रॉय द्वारा किया गया अपराध था।
सीबीआई की जांच और फोरेंसिक रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें यह भी बताया गया कि पिड़िता के शरीर पर कोई संघर्ष के निशान नहीं पाए गए थे और न ही गद्दे पर कोई झपझपी के निशान मिले।
इस केस में देरी होने के तीन मुख्य कारण भी सामने आए हैं। पहला, पिड़िता के परिवार के वकील ने केस छोड़ दिया था, जिससे उन्हें नया वकील ढूंढना पड़ा। दूसरा, सीबीआई को जांच का जिम्मा देर से सौंपा गया था। तीसरा, कुछ आरोपियों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की जा सकी थी।
इस मामले में न्याय की प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां हुईं, और आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई में देर हुई। हालांकि, आखिरकार कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है, यह संकेत है कि न्याय की प्रक्रिया कभी न कभी सही दिशा में जाती है। अब यह उम्मीद की जाती है कि कोर्ट सोमवार को उसे कड़ी सजा सुनाए, ताकि ऐसे अपराधों के खिलाफ समाज में एक मजबूत संदेश जाए।
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