वडोदरा स्थित कुबेर भवन में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। यहां सरकारी बाबुओं पर आरोप है कि वे RTI आवेदन फॉर्म पर भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं। RTI , जो पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए बनाया गया था, अब खुद भ्रष्टाचार का शिकार हो गया है।
20 रुपये का फॉर्म, लेकिन कीमत 50 रुपये
RTI आवेदन के लिए 20 रुपये की टिकट वाले फॉर्म को नि:शुल्क उपलब्ध कराना चाहिए। लेकिन कुबेर भवन में इन फॉर्मों को 50 रुपये में बेचा जा रहा है। इस तरह सरकारी बाबू प्रति फॉर्म 30 रुपये की कटौती कर रहे हैं। यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार है, जो पारदर्शिता के प्रयासों को कमजोर कर रहा है।
RTI का उद्देश्य और हकीकत
RTI अधिनियम का उद्देश्य था जनता को सरकारी विभागों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देना, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन यहां फॉर्म की बिक्री में ही धांधली हो रही है।
जनता के सवाल
- क्यों नहीं हो रही सख्त कार्रवाई?: लोग पूछ रहे हैं कि एंटी करप्शन ब्यूरो ऐसे सरकारी बाबुओं पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज कौन उठाएगा?: RTI जैसे कानूनों को लागू करने वाले लोग ही अगर भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे, तो जनता का विश्वास कैसे बहाल होगा?
यह घटना यह दर्शाती है कि भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक पैठ चुका है। RTI जैसे कानून जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बने थे, अब खुद भ्रष्टाचार के शिकार हो गए हैं। इसके लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार की अनियमितताओं पर तत्काल कार्रवाई करे। एंटी करप्शन ब्यूरो को ऐसे मामलों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। जनता को भी जागरूक होना होगा और इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।अगर पारदर्शिता सुनिश्चित करनी है, तो RTI प्रक्रिया को डिजिटल और मुफ्त किया जाना चाहिए, जिससे फॉर्म खरीदने के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार को रोका जा सके। ऐसे मामलों की जांच और दोषियों को सजा देना अत्यंत आवश्यक है, ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।
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