अमेरिकी कोर्ट ने प्रत्यर्पण संधि के तहत तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राजनयिक माध्यमों से राणा को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इससे पहले, अमेरिकी कोर्ट ने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ राणा की अपील खारिज कर दी थी। 15 अगस्त को अमेरिकी अपीलीय कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजा जा सकता है।
आपको बता दें 26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने हमला किया था। इस हमले में 166 लोगों की जान गई और 300 से अधिक लोग घायल हुए। मारे गए लोगों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। पुलिस ने मुठभेड़ में 9 आतंकियों को मार गिराया और अजमल कसाब को गिरफ्तार किया। कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी।
अमेरिकी कोर्ट ने राणा की अपील खारिज की
राणा ने अमेरिकी कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है। राणा पर मुंबई आतंकवादी हमले में शामिल होने का आरोप है। उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, और एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की थी।
राणा ने आतंकवादी हेडली की मदद की
सुनवाई के दौरान अमेरिकी सरकारी वकीलों ने दलील दी कि राणा जानता था कि उसका बचपन का दोस्त डेविड हेडली लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। हेडली पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक है। राणा ने हेडली को सुरक्षा प्रदान की और उसकी गतिविधियों में मदद की। इसके जरिए वह आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों की सहायता कर रहा था। राणा को हमले की योजना और उससे जुड़ी जानकारियों के बारे में भी जानकारी थी।
एनआईए ने दाखिल की चार्जशीट
हेडली ने याचिका समझौता किया था, इसलिए उसे अमेरिका में जिन अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है, उसके लिए भारत को नहीं सौंपा जा सकता। एनआईए ने दिल्ली की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें हेडली, राणा, हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी, इलियास कश्मीरी, साजिद मीर, अब्दुर रहमान हाशिम सैयद, मेजर इकबाल और मेजर समीर अली के नाम शामिल हैं।
आज 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले को 15 साल पूरे हो गए हैं। चार दिनों तक पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने जो खूनी खेल खेला, वह पूरी दुनिया ने देखा।
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