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Rape victim girl of Bharuch

भरूच की दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को कब मिलेगा न्याय? गुजरात में चार हजार से अधिक POCSO केस अभी भी लंबित

8 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद आखिरकार झगड़िया की दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की मौत हो गई है जिसके चलते पूरा गुजरात फिर एक बार महिलाओं की सुरक्षा मुद्दे चिंतित है। बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसकी मौत ने राज्य में न्याय प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्ची के साथ क्रूरता करने वाले को सख्त से सख्त सजा कब मिलेगी, यह अब भी एक बड़ा सवाल है। गुजरात में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट (POCSO) के तहत 4,375 मामले अभी भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं।

गुजरात की फास्ट ट्रैक अदालतों में 31 अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार, दुष्कर्म के 912 मामले लंबित हैं। अगर पॉक्सो अधिनियम के तहत लंबित मामलों की बात करें, तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 59,174, बिहार में 19,172, मध्य प्रदेश में 7,212, आंध्र प्रदेश में 6,594, ओडिशा में 6,199 और असम में 6,030 मामले लंबित हैं।

दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अक्टूबर 2019 में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की घोषणा की गई थी।

फास्ट ट्रैक अदालतों की वर्तमान स्थिति

31 अक्टूबर 2024 तक देशभर में 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 750 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें और 408 केवल पॉक्सो मामलों के लिए अदालतें कार्यरत हैं। इन अदालतों ने अब तक 2.87 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया है, जिनमें से केवल पॉक्सो अदालतों में 1.83 लाख मामलों का समाधान हुआ है। हालांकि, 1.41 लाख से अधिक मामले अभी भी लंबित हैं।

गुजरात में पॉक्सो के लिए विशेष 24 अदालतों ने अब तक 10,871 मामलों का निपटारा किया है। लेकिन, एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2021 के बीच गुजरात में पॉक्सो मामलों में 398.50% की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान कुल 14,252 मामले दर्ज हुए, लेकिन केवल 231 मामलों में सजा हुई।

अभी और इंतजार की जरूरत

गुजरात में पॉक्सो के तहत लंबित सभी मामलों का समाधान करने में अभी कम से कम चार साल और लग सकते हैं। जब तक न्याय प्रणाली में सुधार नहीं होता और न्याय प्रक्रिया को और तेज नहीं किया जाता, तब तक झगड़िया की मासूम जैसी कई बच्चियों के लिए न्याय का इंतजार लंबा ही रहेगा।